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________________ पच्चीसवाँ शतक : उद्देशक-४] [३६९ [२२८] इसी प्रकार अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक का कालमान जानना चाहिए। २२९. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते सव्वेयस्स केवतियं० कालं अंतर होति ? सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेनं कालं; परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं एवं चेव। [२२९ प्र.] भगवन् ! सर्वकम्पक परमाणु-पुद्गल का अन्तर कितने काल का होता है ? [२२९ उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है। परस्थान की अपेक्षा भी जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यातकाल का अन्तर होता है। २३०. निरेयस्स केवतियं अंतरं होइ ? संढाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजतिभागं; परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेजं कालं। [२३० प्र.] भगवन् ! निष्कम्पक (परमाणु-पुद्गल) का अन्तर कितने काल का होता है ? [२३० उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का अन्तर होता है। परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है। २३१. दुपएसियस्स णं भंते ! खंधस्स देसेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ? सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेनं कालं; परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं। [२३१ प्र.] भगवन् ! देशकम्पक द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर कितने काल का होता है ? [२३१ उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यातकाल का होता है। २३२. सव्वेयस्स केवतियं कालं? एवं चेव जहा देसेयस्स। [२३२ प्र.] भगवन् ! सर्वकम्पक (द्विप्रदेशी स्कन्ध) का अन्तर कितने काल का होता है ? [२३२ उ.] गौतम ! जिस प्रकार देशकम्पक द्विप्रदेशी स्कन्ध का अन्तर कहा है, उसी प्रकार सर्वकम्पक का भी जानना चाहिए। २३३. निरेयस्स केवतियं०? सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजतिभागं; परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं। [२३३ प्र.] भगवन् ! निष्कम्पक (द्विप्रदेशी स्कन्ध) का अन्तर कितने काल का होता है ? [२३३ उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग का अन्तर होता है। परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय का और उत्कृष्ट अनन्तकाल का
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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