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________________ पच्चीसवाँ शतक : उद्देशक - ४] गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । [१९३ प्र.] भगवन् ! परमाणु- पुद्गल सकम्प कितने काल तक रहता है ? [१९३ उ.] गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग तक सकम्प रहता है। [ ३६१ १९४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेजं कालं । [१९४ प्र.] भगवन् ! परमाणु- पुद्गल निष्कम्प कितने काल तक रहता है ? [१९४ उ.] गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल तक निष्कम्प रहता है। १९५. एवं जाव अणंतपएसिए । [१९५] इसी प्रकार यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिए । १९६. परमाणुपोग्गला णं भंते ! सेया कालओ केवचिरं होंति ? गोयमा ! सव्वद्धं । [१९६ प्र.] भगवन् ! (बहुत) परमाणु - पुद्गल कितने काल तक निष्कम्प रहते हैं ? [१९६ उ.] गौतम ! वे सर्वाद्धा (सदा काल) सकम्प रहते हैं। १९७. परमाणुपोग्गला णं भंते! निरेया कालओ केवचिरं होंति ? गोयमा ! सव्वद्धं । [१९७ प्र.] भगवन् ! (बहुत) परमाणु - पुद्गल कितने काल तक निष्कम्प रहते हैं ? [१९७ उ.] गौतम ! सदा काल निष्कम्प रहते हैं । १९८. एवं जाव अणंतपएसिया । [१९८] इसी प्रकार यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक (सकम्प - निष्कम्प-विषयक काल ) जानना चाहिए । १९९. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते! सेयस्स केवतियं कालं अंतरं होति ? गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्त्रेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं; परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेजं कालं । [१९९ प्र.] भगवन् ! (एक) सकम्प परमाणु- पुद्गल का कितने काल का अन्तर होता है ? [१९९ उ.] गौतम ! स्वस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्येय काल का तथा परस्थान की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का अन्तर होता है । २००. निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ?
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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