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________________ १८६ ] गमनागमन करता है। [सू. ११, अष्टम गमक ] १२. सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववन्नो जहन्नेणं बावीसवाससहस्सट्ठितीएस, उक्कोसेण वि बावीसवाससहस्सट्ठितीएसु। एस चेव सत्तमगमकवत्तव्वया जाव भवादेसो त्ति । कालाएसेणं जहन्नेणं चोयालीसं वाससहस्साईं, उक्कोसेणं छावत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं ० । [ नवमो गमओ ] । [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [१२] यदि (उत्कृष्ट काल की स्थिति वाला पृथ्वीकायिक जीव) उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न हो तो जघन्य और उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष की स्थिति वाले पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होता है। यहाँ सप्तम गमक की समग्र वक्तव्यता भवादेश तक कहनी चाहिए। काल की अपेक्षा से जघन्य ४४ हजार वर्ष और उत्कृष्ट एक लाख छिहत्तर हजार वर्ष, इतने काल तक गमनागमन करता है। [सू. १२, नौवाँ गमक ] विवेचन — पृथ्वीकायिकों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कुछ स्पष्टीकरण - तृतीय गमक में उत्पत्ति-परिमाण—तृतीय गमक में उत्कृष्टकाल की स्थिति वाले पृथ्वीकायिकों की उत्पत्ति के विषय में जो यह कहा गया है कि 'वे एक, दो या तीन उत्पन्न होते 'इसका आशय यह है कि प्रथम और द्वितीय गमक में उत्पन्न होने वाले बहुत होने से असंख्यात ही उत्पन्न होते हैं, किन्तु तृतीय गमक में उत्कृष्ट स्थिति वाले एक आदि से लेकर असंख्यात तक उत्पन्न होते हैं। क्योंकि उत्कृष्ट स्थिति वाले पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होने वाले कम होने से वे एक आदि रूप में भी उत्पन्न हो सकते हैं । तृतीय गमक के आठ भवों का स्पष्टीकरण - तृतीय गमक में पृथ्वीकायिकों के उत्कृष्ट ८ भव बताए गए हैं, उसका कारण यह है कि जिस संवेध में दोनों पक्षों में, अथवा दोनों पक्षों में से किसी एक पक्ष में, अर्थात्—उत्पन्न होने वाले पृथ्वीकायिक जीव की अथवा जिसमें उत्पन्न होता है, उन पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति उत्कृष्ट हो तो अधिक से अधिक आठ भव की कायस्थिति होती है। इससे भिन्न (जघन्य और मध्यम स्थिति हो तो) असंख्यात भवों की कायस्थिति होती है । अतः यहाँ उत्पत्ति के विषयभूत (जिनमें उत्पन्न होता हैं, उन) जीवों की उत्कृष्ट स्थिति होने से आठ भव कहे गए हैं। इसी प्रकार अन्यत्र भी समझ लेना चाहिए । एक भव की उत्कृष्ट स्थिति बाईस हजार वर्ष की होती है । इस दृष्टि से आठ भवों की उत्कृष्ट स्थिति एक लाख छिहत्तर हजार (१७६०००) वर्ष की होती है। चौथे गमक में तीन लेश्याएँ : क्यों और कैसे ? – - चौथे गमक में तीन लेश्याएं कही गई हैं, इसका कारण यह है कि जघन्य स्थिति वाले पृथ्वीकायिक में जीव, देवों से च्यव कर उत्पन्न नहीं होता, अत: उसमें ( जघन्यकाल की स्थिति वाले पृथ्वीकायिक में) तेजोलेश्या नहीं होती। छठे गमक में उत्कृष्ट काल कितना और क्यों ? – छठे गमक में चार अन्तर्मुहूर्त अधिक ८८ हजार भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ८२५ वही. पत्र ८२५ वही, पत्र ८२५
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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