SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२] पंचमे 'गुम्म' वग्गे : दस उद्देसगा पंचम 'गुल्म' वर्ग : दश उद्देशक इक्कीसवें शतक के प्रथम वर्गानुसार पंचम गुल्मवर्ग का निरूपण १.अह भंते ! सिरियक-णवमालिय-कोरंटग-बंधुजीवग-मणोजा, जहा पण्णवणाए पढमपए,' गाहाणुसारेणं जाव नलणीय-कुंद-महाजातीणं, एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति०? . एवं एत्थ वि मूलाईया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीणं ( स० २१ व० १ उ० १-१०)। ॥ बावीसइमे सए : पंचमो वग्गो समत्तो॥ २२-५॥ [१ प्र.] भगवन् ! सिरियक, नवमालिक, कोरंटक, बन्धुजीवक, मणोज, इत्यादि सब नाम प्रज्ञापनासूत्र के प्रथम पद की गाथा के अनुसार नलिनी, कुन्द और महाजाति (तक जानने चाहिए;) इन सब पौधों के मूलरूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? [१ उ.] गौतम ! यहाँ भी मूलादि समग्र दश उद्देशक (इक्कीसवें शतक के प्रथम ) शालिवर्ग के समान (जानने चाहिए।) ॥ बाईसवाँ शतक : पंचम वर्ग समाप्त ॥ *** १. देखिए प्रज्ञापनासूत्र की ये गाथाएँ सेण (सिरि) यए णोमालिय कोरंटय-बंधुजीवग-मणोजे । पिइयं पाणं कणयर कुंजय तह सिंदुवारे य॥ २३ ॥ जाई-मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती। वत्थुल कत्थुल सेवाल गंठी मगदंतिया चेव ॥ २४ ॥ चं पक-जी (जा) ई णीइया कुंदो तहा महाजाई॥ - प्रज्ञापना पद १, पत्र ३२-२
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy