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वीसइमं सयं : वीसवाँ शतक
वीसवें शतक के उद्देशकों का नाम-निरूपण
१. बेइंदिय १ मागासे २ पाणवहे ६ उवचए ४ य परमाणू। ५ अंतर ६ बंधे ७ भूमी ८ चारण ९ सोवक्कमा जीवा १० ॥१॥
[१. गाथार्थ—] (इस शतक में दस उद्देशक इस प्रकार हैं-) (१) द्वीन्द्रिय, (२) आकाश, (३) प्राणवध, (४) उपचय, (५) परमाणु, (६) अन्तर, (७) बन्ध, (८) भूमि, (९) चारण और (१०) सोपक्रम जीव।
विवेचन–दश उद्देशकों में प्रतिपाद्य विषय. (१) प्रथम उद्देशक द्वीन्द्रियादि की वक्तव्यता-विषयक है। (२) द्वितीय उद्देशक आकाशादि—अर्थ-विषयक है। (३) तृतीय उद्देशक में प्राणातिपातादि सभी आत्मविषयक तथ्यों की प्ररूपणा है। (४) चतुर्थ उद्देशक में श्रोत्रेन्द्रिय आदि के उपचय का वर्णन है। (५) पंचम उद्देशक में परमाणु सम्बन्धी वक्तव्यता है। (६) छठा उद्देशक रत्नप्रभादि नरकभूमियों के अन्तराल-विषयक है। (७) सप्तम उद्देशक जीव-प्रयोगादिबन्ध के विषय में है। (८) अष्टम उद्देशक में कर्मभूमि-अकर्मभूमि आदि का प्रतिपादन है। (९) नौवें उद्देशक में विद्याचारण आदि का वर्णन है। (१०) दशवें उद्देशक में जीवों के सोपक्रम-निरुपक्रम होने का निरूपण है।
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१. भगवती, अ. वृत्ति, पत्र ७७४