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________________ तृतीय उद्देशक ___राशियुग्म : द्वापरयुग्मराशि वाले चौवीस दण्डकों में उपपातादि प्ररूपणा ७६७ चतुर्थ उद्देशक ... राशियुग्म : कल्योजराशिरूप चौवीस दण्डकों में उपपातादि प्ररूपणा ७३८ पांच से आठ उद्देशक कृष्णलेश्या वाले राशियुग्म में कृतयुग्मादिरूप चौवीस दण्डकों में उपपातादि प्ररूपणा ७३९ नौ से अट्ठाईस उद्देशक नीलादि लेश्याओं के आधार से नारकादि के उपपातादि का निरूपण ७४१ उनतीस से छप्पन उद्देशक पूर्व के अट्ठाईस उद्देशकों के अतिदेशपूर्वक भवसिद्धिक-सम्बन्धी अट्ठाईस उद्देशक ७४३ सत्तावन से चौरासी उद्देशक पूर्व के अट्ठाईस उद्दशकों के अनुसार अभवसिद्धिक-सम्बन्धी अट्ठाईस उद्देशक ७४५ पचासी से एक सौ बारह उद्देशक , सम्यग्दृष्टि की अपेक्षा अट्ठाईस उद्देशकों का निर्देश ७४७ एकसौ तेरह से एकसौ चालीस उद्देशक मिथ्यादृष्टि की अपेक्षा अट्ठाईस उद्देशकों का निर्देश ७४८ एकसौ इकतालीस से एक सौ अड़सठ उद्देशक कृष्णपाक्षिक की अपेक्षा पूर्ववत् अट्ठाईस उद्देशक ७४८ एकसौ उनहत्तर से एकसौ छियानवै उद्देशक शुक्लपाक्षिक के आश्रित पूर्ववत् अट्ठाईस उद्देशक ७४९ उपसंहार व्याख्याप्रज्ञप्ति के शतक, उद्देशक और पदों का परिमाण ७५१ अन्तिम मंगल : श्रीसंघ-जयवाद ७५१ पुस्तक-लिपिकार द्वारा किया गया नमस्कार ७५१ भगवती व्याख्याप्रज्ञप्ति की उद्देशक विधि ७५२ परिशिष्ट ७५५ *** [१२८]
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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