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________________ सोलहवाँ उद्देशक वनस्पतिकायिकों में उत्पन्न होने वाले चौवीस दण्डकों के बारहवें उद्देशकानुसार वक्तव्यता २१५ सत्तरहवाँ उद्देशक द्वीन्द्रियों में उत्पन्न होने वाले दण्डकों में उपपात-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २१७ अठारहवाँ उद्देशक त्रीन्द्रियों में उत्पन्न होने वाले दण्डकों में सत्रहवें उद्देशकानुसार वक्तव्यता-निर्देश २१७ उन्नीसवाँ उद्देशक चतुरिन्द्रिय में उत्पन्न होने वाले दण्डकों में उपपात-परिमाण आदि वीस द्वारों की प्ररूपणा २२१ वीसवां उद्देशक नरक पृथ्वियों की अपेक्षा पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पत्ति-निरूपण २२२, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले सात नरकों के उत्पाद-परिमाणादि द्वारों की प्ररूपणा २२२, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले एकेन्द्रियविकलेन्द्रियों के उपपात-परिमाणादि की प्ररूपणा २२७, पंचेन्द्रिय-तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २२८, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २३२, मनुष्य की अपेक्षा पंचेन्द्रिय-तिर्यंच-योनिकों में उत्पत्ति निरूपण २३५, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले संज्ञी मनुष्य के उत्पाद-परिमाण आदि द्वार २३६, देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के उत्पत्ति का निरूपण २३९, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले भवनवासी देवों के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४०, पंचेन्द्रिय-तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले वाणव्यन्तर देवों के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४१, पंचेन्द्रिय-तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले ज्योतिष्क देवों के उपपात परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४१, वैमानिक देवों की पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पत्ति निरूपण २४२, पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उत्पन्न होने वाले सौधर्म से सहस्रार देव पर्यन्त के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४३ । इक्कीसवाँ उद्देशक गति की अपेक्षा मनुष्यों के उपपात का निरूपण २४५, मनुष्यों में उत्पन्न होने वाले रत्नप्रभा से तमःप्रभा तक के नैरयिकों में उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४५, मनुष्यों में उत्पन्न होने वाले अग्नि-वायुकाय के सिवाय एकेन्द्रिय-विकलेन्द्रिय-तिर्यंच मनुष्यों के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४६, देवों की अपेक्षा मनुष्यों की उत्पत्ति-प्ररूपणा २४८, मनुष्यों में उत्पन्न होने वाले भवनवासी आदि चारों प्रकार के देवों के उत्पाद-परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा २४९ । बाईसवाँ उद्देशक वाणव्यन्तरों में उत्पन्न होने वाले असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचों में उपपात-परिमाणादि का नागकुमार उद्देशक के अतिदेशपूर्वक निर्देश २५५, वाणव्यन्तर देवों में उत्पन्न होने वाले मनुष्यों के उत्पाद-परिमाण आदि वीस द्वारों की [११७]
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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