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उन्नीसवाँ शतक : उद्देशक-६
परिणाम और उपपात से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर—[प्र.] (१) भगवन् ! क्या सभी द्वीप-समुद्र पृथ्वी के परिणामरूप हैं ? (२) भगवन् ! क्या द्वीप-समुद्रों में सर्वजीव पहले पृथ्वीकायादिरूप में कई बार उत्पन्न हुए हैं ? इन प्रश्नों के उत्तर में भगवान् ने कहा—हाँ, गौतम ! सभी जीव अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हो चुके
॥ उन्नीसवाँ शतक : छठा उद्देशक समाप्त॥
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१. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ७६९-७७०
(ख) भगवती. विवेचन (पं. घेवरचन्दजी) भा. ६, पृ. २८०६ (ग) जीवाभिगम प्रतिपत्ति ३, पत्र १७६-२७३, सू. १२३-१९० (आगमोदय.)