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________________ नहीं। ७५२ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र प्रश्नोत्तर—इस प्रकरण में भावितात्मा अनगार के वैक्रियलब्धि सामर्थ्य से सम्बद्ध निम्नोक्त प्रश्नोत्तर हैंप्रश्न उत्तर १. तलवार या उस्तरे की धार पर रह सकता है? हाँ। २. क्या वह वहाँ छिन्न-भिन्न होता है ? नहीं। ३. क्या वह अग्निशिखा में से निकल सकता है ? हाँ। ४. अग्निशिखा से निकलता हुआ जल जाता है ? नहीं जलता। ५. पुष्कर-संवर्त मेघ के बीच में से निकल सकता है ? हाँ। ६. इसके बीच में से निकलते हुए क्या वह भीग जाता है ? नहीं भीगता। ७. गंगा-सिंधु नदियों के प्रतिस्रोत (उल्टे प्रवाह) में से होकर निकल सकता है ? हाँ। ८. उदकावर्त (पानी के भंवरजाल) में या उदकबिन्दु में प्रवेश कर सकता है ? - हाँ। ९. प्रतिस्रोत में से निकलता हुआ क्या वह स्खलित होता है ? १०. प्रवेश करते हुए क्या उसे जल का शस्त्र लगता है, यानी वह भीग जाता है ? नहीं। परमाणु, द्विप्रदेशी आदि स्कन्ध तथा वस्ति का वायुकाय से परस्पर स्पर्शास्पर्श निरूपण ४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे, वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे ? गोयमा ! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे। ___ [४ प्र.] भगवन् ! परमाणु-पुद्गल, वायुकाय से स्पृष्ट (व्याप्त) है, अथवा वायुकाय परमाणु-पुद्गल से स्पृष्ट है। [४ उ.] गौतम! परमाणु-पुद्गल वायुकाय से स्पृष्ट है, किन्तु वायुकाय परमाणु-पुद्गल से स्पृष्ट नहीं है। ५. दुपएसिस णं भंते ! खंधे वाउयाएणं० ? एवं चेव। . [५ प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशिक-स्कन्ध वायुकाय से स्पृष्ट है या वायुकाय द्विप्रदेशिक-स्कन्ध से स्पृष्ट है ? [५ उ.] गौतम! इसी प्रकार (पूर्ववत् जानना चाहिए।) ६. एवं जाव असंखेजपएसिए। १. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ७५७ (ख) भगवती. उपक्रम पृ. ३९२ (ग) भगवती सूत्र के थोकड़े छठा भाग, पृ. ३७, थोकड़ा नं. १४३
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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