SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 770
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अठारहवाँ शतक : उद्देशक - ७ एए णं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति। सेवं भंते! सेवं भंते ! ति० । ७३७ ॥ अट्ठारसमे सए : सप्तमो उद्देसओ समत्तो ॥ १८-७॥ [५१ प्र. ] हे भगवन् ! ऐसे कौन-से देव हैं, जो अनन्त कर्मांशों को जघन्य एक सौ वर्ष, यावत् —— पांच सौ वर्षों में क्षय करते हैं ? भगवन् ! ऐसे कौन-से देव हैं, जो यावत् पांच हजार वर्षों में अनन्त कर्मांशों का क्षय कर देते हैं ? और हे भगवन् ! ऐसे कौन-से देव हैं, जो अनन्त कर्मांशों को यावत् पांच लाख वर्षों में क्षय कर देते हैं ? [५१ उ.] गौतम! वे वाणव्यन्तर देव हैं, जो अनन्त कर्मांशों को एक सौ वर्षों में क्षय कर देते हैं। असुरेन्द्र को छोड़कर शेष सब भवनपति देव अनन्त कर्मांशों को दो सौ वर्षों में, तथा असुरकुमार देव अनन्त कर्मांशों को तीन सौ वर्षों में; ग्रह, नक्षत्र और तारारूप ज्योतिष्क देव चार सौ वर्षों में और ज्योतिषीन्द्र, ज्योतिष्कराज चन्द्र और सूर्य अनन्त कर्मांशों को पाँच सौ वर्षों में क्षय कर देते हैं । सौधर्म और ईशानकल्प के देव अनन्त कर्मांशों को यावत् एक हजार वर्षों में खपा देते हैं। सनत्कुमार और माहेन्द्रकल्प के देव अनन्त कर्माशों को दो हजार वर्षों में खपा देते हैं । इस प्रकार आगे इसी अभिलाप के अनुसार — ब्रह्मलोक और लान्तककल्प के देव अनन्त कर्मांशों को तीन हजार वर्षों में खपा देते हैं। महाशुक्र और सहस्रार देव अनन्त कर्मांशों को चार हजार वर्षों में, आनतप्राणत, आरण और अच्युतकल्प के देव अनन्त कर्मांशों को पांच हजार वर्षों में क्षय कर देते हैं । अधस्तन ग्रैवेयकत्रय के देव अनन्त कर्मांशों को एक लाख वर्ष में, मध्यम ग्रैवेयकत्रय के देव अनन्त कर्मांशों को दो लाख वर्षों में, और उपरिम ग्रैवेयकत्रय के देव अनन्त कर्मांशों को तीन लाख वर्षों में क्षय कर देते हैं। विजय, वैजयंत, जयन्त और अपराजित देव अनन्त कर्मांशों को चार लाख वर्षों में क्षय करते हैं और सर्वार्थसिद्ध देव, अपने अनन्त कर्मांशों को पाँच लाख वर्षों में क्षय कर देते हैं । इसीलिए हे गौतम! ऐसे देव हैं, जो अनन्त कर्मांशों को जघन्य एक सौ, दो सौ या तीन सौ वर्षों में, यावत् पांच लाख वर्षों में क्षय करते हैं । 'हे भगवन्! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कहकर यावत् गौतम स्वामी विचरने लगे। विवेचन देवों द्वारा अनन्त कर्मांशों को क्षय करने का कालमान—प्रस्तुत ४ सूत्रों (४८ से ५१ तक) में चारों जाति के देवों के द्वारा अनन्त कर्माशों को क्षय करने का कालमान बताया गया है। नीचे इसकी सारिणी दी जाती है— देवों का नाम १. वाणव्यन्तर देव २. असुरकुमार के सिवाय भवनपतिदेव ३. असुरकुमार देव कर्मक्षय करने का कालमान १०० वर्षों में २०० वर्षों में ३०० वर्षों में
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy