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________________ अट्ठारसमं सयं : अठारहवाँ शतक अठारहवें शतक के उद्देशकों का नाम-निरूपण १. पढमा १ विसाह २ मायंदिए य ३ पाणातिवाय ४ असुरे य५ । गुल ६ केवल ७ अणगारे ८ भविए ९ तह सोमिलट्ठारसे १०॥ १ ॥ [१] अठारहवें शतक में दस उद्देशक हैं । यथा – (१) प्रथम, (२) विशाखा, (३) माकन्दिक, (४) प्राणातिपात, (५) असुर, (६) गुड़, (७) केवली, (८) अनगार, (९) भाविक तथा (१०) सोमिल । विवेचन- दस उद्देशकों में प्रतिपाद्य विषय ( १ ) प्रथम उद्देशक में जीवादि के विषय में विविध पहलुओं से प्रथम- अप्रथम आदि का निरूपण है । (२) द्वितीय उद्देशक में विशाखा नगरी में भगवान् महावीर द्वारा प्रतिपादित कार्तिक सेठ के पूर्वभव के रूप में शक्रेन्द्र का वर्णन है । ( ३ ) तीसरा उद्देशक माकन्दीपुत्र अनगार की पृच्छारूप है। (४) चौथा उद्देशक प्राणातिपात आदि पाप और उनसे निवृत्ति के विषय में है । (५) पाँचवें उद्देशक में असुरकुमार देव सम्बन्धी वक्तव्यता है। (६) छठे उद्देशक में निश्चय-व्यवहार से गुड़ आदि के वर्णादि का प्रतिपादन है। (७) सातवें उद्देशक में केवली आदि से सम्बन्धित विविध विषयों का प्रतिपादन है । ( ८ ) आठवें उद्देशक में अनगार से सम्बन्धित अन्यतीर्थिकों के आक्षेपों का निराकरण है । (९) नौवें उद्देशक में भव्य - द्रव्यनैरयिक आदि के विषय में चर्चा है । (१०) दसवें उद्देशक में सोमिल ब्राह्मण के प्रश्नों का समाधान है। इस प्रकार अठारहवें शतक के अन्तर्गत दश उद्देशक हैं ।
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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