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सोलसमो उद्देसओ : 'वायु'
सोलहवाँ उद्देशक : वायुकुमार ( सम्बन्धी वक्तव्यता) वायुकुमारों में समाहारादि सप्त द्वारों की तथा लेश्या एवं लेश्या की अपेक्षा अल्पबहुत्व की
प्ररूपणा
१. वाउकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? एवं चेव। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ०।
॥ सत्तरसमे सए : सोलसमो उद्देसओ समत्तो॥१७-१६॥ [१ प्र.] भगवन्! क्या सभी वायुकुमार समान आहार वाले हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न । [१ उ.] गौतम! पूर्ववत् (समग्र वक्तव्यता समझनी चाहिए।) हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है; यों कह कर (गौतमस्वामी) यावत् विचरते हैं। ॥ सत्तरहवाँ शतक : सोलहवाँ उद्देशक समाप्त॥
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