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________________ नवमो उद्देसओ : नौवाँ उद्देशक 'सिव' : शिव राजर्षि १. तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिणापुरे नामं नगरे होत्था। वण्णओ। [१] उस काल और उस समय में हस्तिनापुर नाम का नगर था। उसका वर्णन करना चाहिए। २. तस्स णं हत्थिणापुरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे एत्थ णं सहसंबवणे नामं उज्जाणे होत्था। सव्वोउयपुष्फफलसमिद्धे रम्मे णंदणवणसन्निगासे सुहसीयलच्छाए मणोरमे सादुफले अकंटए पासादीए जाव पडिरूवे। [२] उस हस्तिनापुर नगर के बाहर उत्तरपूर्वदिशा (ईशानकोण) में सहस्राम्रवन नामक उद्यान था। वह सभी ऋतुओं के पुष्पों और फलों से समृद्ध था। रम्य था, नन्दनवन के समान सुशोभित था। उसकी छाया सुखद और शीतल थी। वह मनोरम, स्वादिष्ट फलयुक्त, कण्टकरहित प्रसन्नता उत्पन्न करने वाला यावत् प्रतिरूप (सुन्दर) था। ३. तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे सिवे नामं राया होत्था, महताहिमवंत० । वण्णओ।. [३] उस हस्तिनापुर नगर में शिव नामक राजा था। वह महाहिमवान् पर्वत के समान श्रेष्ठ था, इत्यादि राजा का समस्त वर्णन कहना चाहिए। ४. तस्स णं सिवस्स रण्णो धारिणी नामं देवी होत्था, सुकुमालपाणिपाया०। वण्णओ। [४] शिव राजा की धारिणी नाम की देवी (पटरानी) थी। उसके हाथ-पैर अतिसुकुमाल थे, इत्यादि रानी का समस्त वर्णन कहना चाहिए। ५. तस्स णं सिवस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए अत्तए सिवभद्दए नाम कुमारे होत्था, सुकुमाल० जहा सूरियकंते जाव पच्चुवेक्खमाणे पच्चुवेक्खमाणे विहरति। [५] शिव राजा का पुत्र और धारिणी रानी का अंगजात 'शिवभद्र' नामक कुमार था। उसके हाथ-पैर अत्यन्त सुकुमाल थे। कुमार का वर्णन राजप्रश्नीय सूत्र में कथित सूर्यकान्त राजकुमार के समान समझना चाहिए, यावत् वह कुमार राज्य, राष्ट्र, बल (सैन्य), वाहन, कोष, कोठार, पुर, अन्तःपुर और जनपद का स्वयमेव निरीक्षण (देखभाल) करता हुआ रहता था। १. हस्तिनापुर नगर के वर्णन के लिए देखिये-औपपातिकसूत्र २. राजा के वर्णन के लिए देखिये-औपपातिकसूत्र, सू.६, पत्र.११ (आगमोदय०) ३. रानी के वर्णन के लिए देखिये-औपपातिकसूत्र, सू.६, पत्र. १२ (आगमोदय०) ४. कुमार के वर्णन के लिए देखिये-राजप्रश्नीयसूत्र कण्डिका १४४, पृ. २७६ (गुर्जरग्रन्थ०)
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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