SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०३ तेरहवां शतक : उद्देशक-४ [५] केवतिया पोग्गलऽत्थि० ? अणंता। [५२-५ प्र.] (भगवन् ! वहाँ) पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? [५२-५ उ.] ( गौतम ! उसके) अनन्त प्रदेश अवगाढ होते हैं। [६] केवतिया अद्धा समया० ? सिय ओगाढा, सिय नो ओगाढा। जाति ओगाढा अणंता। [५२-६ प्र.] भगवन् ! वहाँ अद्धासमय कितने अवगाढ होते हैं ? [५२-६ उ.] अद्धासमय कदाचित् अवगाढ होते हैं और कदाचित् नहीं होते। यदि अवगाढ होते हैं तो अनन्त अद्धासमय अवगाढ होते हैं। ५३. [१] जत्थ णं भंते ! एगे अधम्मऽथिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थि० ? एक्को । [५३-१ प्र.] भगवन् ! जहाँ अधर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? [५३-१ उ.] (गौतम ! वहाँ धर्मास्तिकाय का) एक प्रदेश अवगाढ होता है। [२] केवतिया अहम्मऽथि० ? नत्थि एक्को वि। [५३-२ प्र.] (वहाँ) अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते है ? [५३-२ उ.] (वहाँ) उसका एक प्रदेश भी अवगाढ नहीं होता। [३] सेसं जहा धम्मऽत्थिकायस्स। [५३-३] शेष (कथन) धर्मास्तिकाय के समान (समझना चाहिए।) ५४. [१] जत्थ णं भंते ! एगे आगासऽत्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मऽथिकाय? सिय ओगाढा, सिय नो ओगाढा। जति ओगाढा एक्को। [५४-१ प्र.] भगवन् ! जहाँ आकाशास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? [५४-१ उ.] गौतम ! वहाँ धर्मास्तिकाय के प्रदेश कदाचित् अवगाढ होते हैं और कदाचित् अवगाढ नहीं होते। यदि अवगाढ होते हैं तो एक प्रदेश अवगाढ होता है।
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy