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________________ २९४ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [३७ उ.] (गौतम ! वे ) जघन्य पद में दस प्रदेशों से और उत्कृष्ट पद में बाईस प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं। ३८. पंच पोग्गल०? जह० वारसहिं, उक्कोस० सत्तावीसाए। [३८ प्र.] (भगवन् ! ) पुद्गलास्तिकाय के पांच प्रदेश (धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होते #c हैं ?) [३८ उ.] (गौतम ! वे ) जघन्य पद में बारहं प्रदेशों से और उत्कृष्ट पद में सत्ताईस प्रदेशों से स्पृष्ट होते ३९. छ पोग्गल०? जह० चोद्दसहिं, उक्को० बत्तीसाए। [३९ प्र.] (भगवन् ! ) पुद्गलास्तिकाय के छह प्रदेश (धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पष्ट होते हैं ?) [३९ उ.] (गौतम ! वे) जघन्यपद में चौदह और उत्कृष्ट पद में बत्तीस प्रदेशों से (स्पृष्ट होते हैं।) ४०. सत्त पो०? जहन्नेणं सोलसहिं, उक्को० सत्ततीसाए। [४० प्र.] (भगवन् ! ) पुद्गलास्तिकाय के सात प्रदेश धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से (स्पृष्ट होते हैं ?) [४० उ.] (गौतम ! वे) जघन्य पद में सोलह और उत्कृष्ट पद में सैंतीस प्रदेशों से (स्पृष्ट होते हैं।) ४१. अट्ठ पो० ? जह० अट्ठारसहिं, उक्कोसेणं बायालीसाए। [४१ प्र.] (भगवन् ! ) पुद्गलास्तिकाय के आठ प्रदेश धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं ? [४१ उ.] (गौतम ! वे ) जघन्य पद में अठारह और उत्कृष्ट पद में बयालीस प्रदेशों से (स्पृष्ट होते हैं।) ४२. नव पो०? जह० वीसाए, उक्को० सीयालीसाए। [४२ प्र.] (भगवन् ! ) पुद्गलास्तिकाय के नौ प्रदेश धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं ? [४२ उ.] (गौतम ! वे ) जघन्य पद में दस और उत्कृष्ट पद में छियालीस प्रदेशों से (स्पृष्ट होते हैं।) ४३. दस०?
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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