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________________ बारहवाँ शतक : उद्देशक-१० २२९ जिसके योगात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है, क्योंकि योग होने पर वीर्य अवश्य होता ही है। किन्तु जिसके वीर्यात्मा होती है, उसके योगात्मा की भजना है, क्योंकि अयोगीकेवली में वीर्यात्मा तो है, किन्तु योगात्मा नहीं है। यह बात करण और लब्धि दोनों वीर्यात्माओं को लेकर कही गई है। जहाँ करणवीर्यात्मा है, वहाँ योगात्मा अवश्यम्भावी है, किन्तु जहा लब्धिविर्यात्मा है, वहाँ योगात्मा की भजना है। उपयोगात्मा के साथ ऊपर की चार आत्माओं का सम्बन्ध : क्यों है, क्यों नहीं ?—जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसमें ज्ञानात्मा की भजना है, क्योंकि मिथ्यादृष्टि जीवों में उपयोगात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती। जिस जीव के ज्ञानात्मा है, उसके उपयोगात्मा तो अवश्य ही होती है। इसी तरह जिस जीव के उपयोगात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा और जिसके दर्शनात्मा है, उसके उपयोगात्मा अवश्य ही होती है। जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसमें चारित्रात्मा की भजना है, क्योंकि असंयती जीवों के उपयोगात्मा तो होती है, परन्तु चारित्रात्मा नहीं होती। जिस जीव के चारित्रात्मा है, उसके उपयोगात्मा अवश्य ही होती है। जिस जीव में उपयोगात्मा होती है, उसमें वीर्यात्मा की भजना है, क्योंकि सिद्धों में उपयोगात्मा होते हुए भी वीर्यात्मा नहीं पाई जाती। . ज्ञानात्मा, दर्शनात्मा, चारित्रात्मा और वीर्यात्मा में उपयोगात्मा अवश्य ही रहती है, क्योंकि जीव का रक्षण ही उपयोग है। उपयोग लक्षण वाला जीव ही ज्ञान दर्शन चारित्र और वीर्य का कारण होता है। उपयोगशून्य घटादि जड़ पदार्थ होते हैं, जिनमें ज्ञानादि नहीं पाये जाते। ज्ञानात्मा के ऊपर की तीन आत्माओं का सम्बन्ध : क्यों है और क्यों नहीं ?—जिस जीव में ज्ञानात्मा है, उसके दर्शनात्मा अवश्य ही होती है, क्योंकि ज्ञान (समग्ज्ञान) सम्यग्दृष्टि जीवों के ही होता है और वह दर्शनपूर्वक ही होता है। जिस जीव के दर्शनात्मा है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है, क्योंकि मिथ्यादृष्टि जीवों के दर्शनात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती। जिस जीव के ज्ञानात्मा है, उसके चारित्रात्मा की भजना होती है, अविरति सम्यग्दृष्टि जीव के ज्ञानात्मा होते हुए भी चारित्रात्मा नहीं होती। जिस जीव के चारित्रात्मा है, उसके ज्ञानात्मा अवश्य ही होती है। ज्ञान के बिना चारित्र का अभाव है। जिस जीव में ज्ञानात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा की भजना है, क्योंकि सिद्धजीवों में ज्ञानात्मा के होते हुए भी वीर्यात्मा नहीं होती। जिस जीव के वीर्यात्मा है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है, क्योंकि मिथ्यादृष्टि जीवों के वीर्यात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती।। दर्शनात्मा के साथ चारित्रात्मा और वीर्यात्मा का सम्बन्ध : क्यों और क्यों नहीं ?—जिस जीव के दर्शनात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा की भजना है। क्योंकि दर्शनात्मा के होते हुए भी असंयती जीवों के चारित्रात्मा नहीं होती और सिद्धों के वीर्यात्मा नहीं होती, जबकि उनमें दर्शनात्मा अवश्य होती है। सामान्यावबोधरूप दर्शन तो सभी जीवों में होता है। चारित्रात्मा और वीर्यात्मा का सम्बन्ध—जिस जीव के चारित्रात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है, क्योंकि वीर्य के बिना चारित्र का अभाव है, किन्तु जिस जीव में वीर्यात्मा होती है, उसमें चारित्रात्मा की
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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