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बारहवाँ शतक : उद्देशक-१०
२२७ प्रकार रहता है या नहीं ? इसकी प्ररूपणा की गई है।
द्रव्यात्मा के साथ शेष आत्माओं का सम्बन्ध-जिस जीव के द्रव्यात्मा होती है, उसके कषायात्मा, सकषाय अवस्था में होती है, किन्तु उपशान्तकषाय या क्षीणकषाय अवस्था में नहीं होती हैं। किन्तु जिस जीव के कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा नियम से होती है, क्योंकि द्रव्यात्मत्व-जीवत्व के बिना कषायों का होना सम्भव नहीं है।
जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके योगात्मा सयोगी अवस्था में होती है, किन्तु अयोगी अवस्था में द्रव्यात्मा के साथ योगात्मा नहीं होती। इसके विपरीत जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा नियम से होती है, क्योंकि द्रव्यात्मा जीवरूप है, बिना जीव के योगों का होना सम्भव नहीं है।
द्रव्यात्मा और उपयोगात्मा का परस्पर नित्य अविनाभावी सम्बन्ध होने के कारण द्रव्यात्मा के साथ उपयोगात्मा एवं उपयोगात्मा के साथ द्रव्यात्मा अवश्य होती है, क्योंकि द्रव्यात्मा जीव रूप है और उपयोग उसका लक्षण है, इसलिए दोनों एक दूसरे के साथ नियम से पाई जाती हैं।
जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है, क्योंकि सम्यग्दृष्टि द्रव्यात्मा के ज्ञानात्मा होती है, मिथ्यादृष्टि के सम्यग्ज्ञान-रूप ज्ञानात्मा नहीं होती; किन्तु ज्ञानात्मा के साथ द्रव्यात्मा अवश्य होती है, क्योंकि द्रव्यात्मा के बिना ज्ञानात्मा संभव नहीं है।
द्रव्यात्मा और उपयोगात्मा के समान द्रव्यात्मा और दर्शनात्मा में भी नित्य सम्बन्ध है; क्योंकि सामान्य अवबोधरूप दर्शन तो प्रत्येक जीव के होता है, सिद्ध भगवान् के भी केवलदर्शन होता है। जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा नियम से होती है, जैसे चक्षुदर्शनादि वाले के द्रव्यात्मा होती है। विरतिवाले द्रव्यात्मा के साथ ही चारित्रात्मा पाई जाती है, विरतिरहित संसारी और सिद्ध जीवों में द्रव्यात्मा होने पर भी चारित्रात्मा नहीं पाई जाती है। किन्तु चारित्रात्मा होती है, वहाँ द्रव्यात्मा अवश्य होती है, क्योंकि द्रव्यात्मा के बिना चारित्र सम्भव नहीं है।
द्रव्यात्मा के साथ वीर्यात्मा के सम्बन्ध की भजना है; क्योंकि सकरण वीर्ययुक्त प्रत्येक संसारी जीव (द्रव्यात्मा) के वीर्यात्मा रहती है, किन्तु सिद्धों में सकरण वीर्य न होने से उनकी द्रव्यात्मा के साथ वीर्यात्मा नहीं होती। जहाँ वीर्यात्मा है, वहाँ द्रव्यात्मा अवश्य होती है; क्योंकि वीर्यात्मा वाले समस्त संसारी जीवों में द्रव्यात्मा होती है।
कषायात्मा के साथ आगे की छह आत्माओं का सम्बन्ध : क्यों है, क्यों नहीं ?—जिसके कषायात्मा होती है, उसके योगात्मा अवश्य होती है, क्योंकि सकषायी आत्मा अयोगी नहीं होती। जिसके योगात्मा होती है, उसके कषायात्मा की भजना है, क्योंकि सयोगी आत्मा सकषायी और अकषायी दोनों प्रकार की होती है।
जिस जीव में कषायात्मा होती है, उसे उपयोगात्मा अवश्य होती है, क्योंकि कोई भी जीव उपयोग से रहित