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पंचमो उद्देसओ : अतिवात
पंचम उद्देशक : अतिपात प्राणातिपात आदि अठारह पापस्थानों में वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्श-प्ररूपणा
१. रायगिहे जाव एवं वयासी[१] राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा
२. अह भंते ! पाणातिवाए मुसावाए आदिनादाणे मेहुणे परिग्गहे, एस णं कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पन्नत्ते।
[२ प्र.] भगवन् ! प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन और परिग्रह; ये (सब) कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श वाले कहे हैं ?
[२ उ.] गौतम ! (ये) पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और चार स्पर्श वाले कहे हैं।
३. अह भंते ! कोहे कोवे रोसे दोसे अखमा संजलणे कलहे चंडिक्के भंडणे विवादे, एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पन्नत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे चउफासे पन्नत्ते ।
[३ प्र.] भगवन् ! क्रोध, कोप, रोष, दोष (द्वेष), अक्षमा, संज्वलन, कलह, चाण्डिक्य, भण्डन और विवाद—ये (सभी) कितने वर्ण गन्ध रस और स्पर्श वाले कहे हैं ? । [३ उ.] गौतम ! ये (सब) पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और चार स्पर्श वाले कहे हैं।
४. अह भंते ! माणे मदे दप्पे थंभे गव्वे अत्तुक्कोसे परपरिवाए उक्कासे अवक्कासे उन्नए उन्नामे दुन्नामे, एस णं कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे जहा कोहे तहेव।
[४ प्र.] भगवन् ! मान, मद, दर्प, स्तम्भ, गर्व, अत्युत्क्रोश, परपरिवाद, उत्कर्ष, अपकर्ष, उन्नत, उन्नाम और दुर्नाम—ये (सब) कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श वाले कहे हैं ?
[४ उ.] गौतम ! ये (सब) पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस एवं चार स्पर्श वाले (पूर्ववत्) कहे हैं।
५. अह भंते ! माया उवही नियडी वलये गहणे णूमे कक्के कुरूए जिम्हे किब्बिसे आयरणता गृहणया वंचणया पलिउंचणया सातिजोगे, एस णं कतिवण्णे कतिगंधे कतिफासे पन्नत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे जहेव कोहे। [५ प्र.] भगवन् ! माया, उपधि, निकृति, वलय, गहन, नूम, कल्क, कुरूपा, जिह्मता, किल्विष आदरण