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________________ विग्रह-विग्रहिक लोक का निरूपण ३१३, तेरहवाँ द्वार—लोकसंस्थान-लोकसंस्थाननिरूपण ३१४, आधोलोक-तिर्यक्लोक-ऊर्ध्वलोक के अल्पबहुत्व का निरूपण ३१५. पंचम उद्देशक : नैरयिकों आदि का आहार ३१६ छठा उद्देशक : उपपात (आदि) ३१७ चौवीस दण्डकों में सान्तर-निरन्तर उपपात-उद्वर्त्तननिरूपण ३१७, चरमचंच का आवास का वर्णन एवं प्रयोजन ३१८. उदायननरेश वृत्तान्त ३२०, भगवान् का राजगृहनगर से विहार, चम्पापुरी में पदार्पण. ३२०, उदायननृप, राजपरिवार, वीतिभयनगर आदि का परिचय ३२०, पौषधरत उदायन नृप का भगवद्वन्दनादि-अध्यवसाय ३२२, भगवान् का वीतिभयनगर में पदार्पण, उदायन द्वारा प्रव्रज्याग्रहण का संकल्प ३२३, स्वपुत्रकल्याणकांक्षी उदायन नृप द्वारा अभीचिकुमार के बदले अपने भानजे का राज्याभिषेक ३२४, केशी राजा से अनुमत उदायन नृप के द्वारा त्याग वैराग्यपूर्वक प्रव्रज्याग्रहण, मोक्षगमन ३२७, राज्य-अप्राप्ति निमित्त से वैरानुबद्ध अभीचिकुमार का वीतिभयनगर छोड़ कर चम्पानगरी में निवास ३२९, श्रमणोपासक धर्मरत अभीचिकुमार को वैरविषयक आलोचन-प्रतिक्रमण न करने से असुरकमारत्वप्राप्ति .. ३३०, देवलोकच्यवनान्तर अभीचि को भविष्य में मोक्षप्राप्ति ३३१. सातवाँ उद्देशक : भाषा ३३२ भाषा के आत्मत्व, रूपित्व, अचित्तत्व, अजीवत्व का निरूपण ३३२, भाषा जीवों की, अजीवों की नहीं ३३२, बोलते समय ही भाषा, अन्य समय में नहीं ३३२, भाषा-भेदन बोलते समय ही ३३३, चार प्रकार की भाषा ३३३, मनः आत्मा नहीं, जीव का है ३३५, मन के चार प्रकार ३३६, कायः आत्मा है या अन्य ? रूपी-अरूपी है, सचित्त-अचित्त है, जीव-अजीव है ? ३३६, जीव-अजीव दोनों कायरूप ३३७, त्रिविध जीवस्वरूप को लेकर कायनिरूपण-कायभेद-निरूपण ३३७, काया के सात भेद ३३८, मरण के पांच प्रकार ३४०, आवीचिमरण के भेद-प्रभेद और स्वरूप ३४१, अवधिमरण के भेद-प्रभेद और उनका स्वरूप ३४३, आत्यन्तिकमरण के भेद-प्रभेद और उनका स्वरूप ३४४, बालमरण के भेद और स्वरूप ३४५, पण्डितमरण के भेद और स्वरूप ३४५. आठवाँ उद्देशक : कर्मप्रकृति प्रज्ञापना के अतिदेशपूर्वक कर्मप्रकृतिभेदादिनिरूपण ३४८. नवम उद्देशक : अनगार में केयाघटिका (वैक्रियशक्ति) ३४९ रस्सी बंधी घडिया, स्वर्णादिमंजूषा, बाँस आदि की चटाई, लोहादिभार लेकर चलनेवाले व्यक्तिसम भावितात्मा अनगार की वैक्रियशक्ति ३४९, चमचेड़-यज्ञोपवीत-जलौका'बीजंबीज-समुद्रवायस आदि की क्रियावत् भावितात्मा अनगार की वैक्रियशक्ति ३५०, ३४८८ [१७]
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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