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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
अहवा एगयतो दसपएसिए एगयतो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ संखेजपएसिए खंधे, एगयओ दो अणंतपदेसिया खंधा भवंति; अहवा एगयओ असंखेजपएसिए खंधे, एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा, तिन्नि अणंतपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपो०, एगयतो अणंतपएसिए०, भवति; एवं चउक्कसंजोगो जाव असंखेजगसंजोगा। एए सव्वे जहेव असंखेज्जाणं भणिया तहेव अणंताण वि भाणियव्वा, नवरं एक अणंतगं अब्भहियं भाणियव्वं जाव अहवा एगयतो संखेज्जा संखिज्जपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए०, भवति; अहवा एगयओ संखेजा असंखेजपदेसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवति; अहवा संखिज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति। असंखेजहा कज्जमाणे एगयतो असंखेजा परमाणुपोग्गला, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो असंखिज्जा दुपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए० भवति; जाव अहवा एगयओ असंखेजा संखिजपएसिया०, एगयओ अणंतपएसिए० भवति; अहवा एगयओ असंखेज्जा असंखेजपएसिया खंधा, एगयओ खंधा, एगयओ अणंतपएसिए० भवति; अहवा असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति।
अणंतहा कज्जमाणे अणंता परमाणुपोग्गला भवंति। [१३ प्र.] भगवन् ! अनन्त परमाणु-पुद्गल संयुक्त होकर एकत्रित हों तो (उनका) क्या होता है ?
[१३ उ.] गौतम ! उनका एक अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध बन जाता है। यदि उसके विभाग किये जाएँ तो दो, तीन यावत् दस, संख्यात, असंख्यात और अनन्त विभाग होते हैं।
दो विभाग किये जाने पर—एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है। यावत् दो अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
तीन विभाग किये जाने पर—एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु पुद्गल और एक ओर एक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल, एक ओर द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। यावत् अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर एक असंख्यातप्रदेशी और एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर दो अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। इस प्रकार यावत्-अथवा एक ओर एक दशप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा एक
ओर एक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर एक असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर दो अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा तीन अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं।
चार विभाग किये जाने पर-एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। इस प्रकार चतुष्कसंयोगी (से लेकर) यावत् असंख्यात-संयोगी तक कहना