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बारहवाँ शतक : उद्देशक - ४
पांच विभाग- १-१-१-१-६ । १-१-१-२-५ ।
१-२-२-२-३ । २-२-२-२-२।
छह विभाग
१-२ -२-२-२ ।
-१-५।१-१-१-१-२-४।१-१-१-१-३-३ । १-१-१-२-२-३।१
१५१
४ । १-१-२-३-३ ।
सात विभाग- १-१-१-१-१-१-४ । १-१-१-१-१-२-३ । १-१-१-१-२-२-२। आठ विभाग-१-१-१-१-१-१-१-३ । १-१-१-१-१-१-२-२।
नौ विभाग १ - १-१-१-१-१-१-१-२।
दस विभाग - १ - १-१-१-१-१-१-१-१-१।
इस प्रकार दशप्रदेशी स्कन्ध के विभाग किये जाने पर कुल ५+७+८+७+५+३+२+१+१=३९ विकल्प
हुए ।
द्विप्रदेशी स्कन्ध से लेकर दशप्रदेशी स्कन्ध तक के विभागीय विकल्प कुल १२५ इस प्रकार होते हैं— १+२+४+६+१०+१४+२१+२८ + ३९ = १२५ । इसमें जो दो जगह कोष्ठक के अन्तर्गत तीन विकल्प - २-३-५ । २-२-६ एवं १-२-२-५ हैं, वे शून्यभंग हैं, उन्हें यहाँ नहीं गिना गया है।'
संख्यात परमाणु पुद्गलों के संयोग-विभाग से निष्पन्न भंग निरूपण
११. संखेज्जा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहण्णित्ता किं भवति ? गोयमा ! संखेज्जपएसिए संखे भवति । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि संखेज्जहा वि कज्जति । दुआ कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति, एवं अहवा एगयओ तिपएसिए०, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति, जाव अहवा एगयतो दसपएसिए खंधे एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयतो दो परमाणुपो०, एगयतो संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो० एगयतो दुपएसिए खंधे, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो तिपएसिए खंधे० एगयतो संखेज्जपएसिए खंधे भवति; एवं जाव अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दसपएसिए खंधे, एगयतो संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो परमाणुपो०, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयतो दुपएसिए खंधे, एगयतो दो संखेज्जपदेसिया खंधा भवंति; एवं जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयतो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवति; अहवा तिण्णि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयतो तिन्नि परमाणुपो०, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयतो दो परमाणुपो०, एगयओ दुपएसिए०, एगयतो
१. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ५६६
(ख) भगवती (हिन्दीविवेचन ) भा. ४, पृ. २०१९