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________________ १५० व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र होता है। अथवा एक ओर तीन परमाणु- पुद्गल (पृथक्-पृथक् ) तथा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक पञ्चप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु- पुद्गल, एक ओर क त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुःप्रदेशिक स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर दो पृथक्-पृथक् परमाणुपुद्गल, एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर चतु: प्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर दो परमाणुपुद्गल (पृथक्-पृथक्), एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । अथवा एक ओर एक परमाणु - पुद्गल, एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा पांच द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । छह विभाग किये जाने पर — एक ओर पृथक्-पृथक् पांच परमाणु- पुद्गल, एक ओर पंचप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु- पुद्गल और एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् तीन पुद्गल - परमाणु, एक ओर दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु- पुद्गल तथा एक ओर चार द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । सात विभाग किये जाने पर — एक ओर पृथक्-पृथक् छह परमाणु - पुद्गल और एक ओर एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् पांच परमाणु- पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् चार परमाणु- पुद्गल और एक ओर तीन द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं । आठ विभाग किये जाने पर —– एक ओर पृथक्-पृथक् सात परमाणु - पुद्गल और एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध होता है । अथवा एक ओर पृथक्-पृथक् छह परमाणु- पुद्गल और एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। नौ विभाग किये जाने पर — एक ओर पृथक्-पृथक् आठ परमाणु- पुद्गल और एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है । दस विभाग किये जाने पर — पृथक् पृथक् दस परमाणु- पुद्गल होते हैं। विवेचन — दशप्रदेशीस्कन्ध के विभागीय ३९ विकल्प दो विभाग - १ - ९ । २-८ । ३-७ । ४-६ । ५-५। तीन विभाग - १ - १-८। १-२-७। १-३-६ । १-४-५ । २-३-५ । २-४-४ । ३-३-४ । [ कोष्ठक में एक विकल्प - २-२-६] चार विभाग- १-१-१-७। १-१-२-६ । १-१-३-५। १-१-४-४। १-२-३-४। १-३-३-३। २-२-२-४।२-२-३-३ । [१-२-२-५ में शून्य विकल्प ]
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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