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________________ बारसमं सयं : बारहवाँ शतक बारहवें शतक के दश उद्देशकों के नाम बारहवें शतक के दस उद्देशक १. संखे १ जयंति २ पुढवी ३ पोग्गल ४ आइवाय ५ राहु ६ लोगे य ७। नागे य ८ देव ९ आया १० बारसमसए दसुद्देसा ॥१॥ [स. १ गाथार्थ] बारहवें शतक में दस उद्देशक हैं। (उनके नाम इस प्रकार हैं)-(१) शंख, (२) जयंती, (३) पृथ्वी, (४) पुद्गल, (५) अतिपात, (६) राहु, (७) लोक, (८) नाग, (९) देव और (१०) आत्मा ॥१॥ विवेचन–दश उद्देशक–(१) शंख–श्रमणोपासक शंख और पुष्कली के साहार पौषधोपवास का वर्णन, (२) जयंती-जयंती श्रमणोपासिका के भगवान् से प्रश्नोत्तर, (३) पृथ्वी-सात नरक-भूमियों का वर्णन, (४) पुद्गल-परमाणु और स्कन्ध के विभागों का वर्णन, (५) अतिपात-प्राणातिपात आदि पापों के वर्ण-गन्धादि का निरूपण, (६) राहु-राहु द्वारा चन्द्रमा के ग्रसन आदि की भ्रान्त मान्यता का निराकरण, (७) लोक-लोक के परिमाण आदि का वर्णन, (८) नाग-नाग (सर्प या गज) की उत्पत्ति आदि के सम्बन्ध में प्रश्न, (९) देव-देवों के प्रकार तथा उत्पत्ति के कारण आदि का वर्णन, (१०) आत्मा-आत्मा के आठ प्रकार और उनके परस्पर सम्बन्ध, अल्पबहुत्व आदि का वर्णन।' पढमो उद्देसओ : 'संखे' प्रथम उद्देशक : शंख (और पुष्कली श्रमणोपासक) शंख और पुष्कली का संक्षिप्त परिचय २. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नयरी होत्था। वण्णओ। कोट्ठए चेतिए। वण्णओ। [२] उस काल और उस समय में श्रावस्ती नामक नगरी थी। उसका वर्णन (औपपातिक आदि सूत्रों से समझ लेना)। (वहाँ) कोष्ठक नामक उद्यान था, उसका वर्णन भी (औपपातिक सूत्र के उद्यान-वर्णन के अनुसार समझ लें)। ३. तत्थ णं सावत्थीए नगरीए बहवे संखापामोक्खा समणोवासगा परिवसंति अड्ढा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरं ति। १. भगवतीसूत्र, वृत्ति, पत्र ५५५
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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