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________________ दशम शतक : उद्देशक-३ १२. समिड्डीए णं भंते ! देव समिड्डीयाए देवीए मझमझेण? एवं तहेव देवेण य देवीए य दंडओ भाणियव्वो जाव वेमाणियाए। [१२ प्र.] भगवन् ! क्या समर्द्धिक देव, समर्द्धिक देवी के बीचोंबीच में से हो कर जा सकता है ? [१२ उ.] गौतम! पूर्वोक्त प्रकार से (सू. ७ के अनुसार) देव के साथ देवी का भी दण्डक वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। १३. अप्पिड्डिया णं भंते! देवी महिड्डियस्स देवस्स मज्झमझेण ? एवं एसो वि तइओ दंडओ भाणियव्वो जाव महिड्डिया वेमाणिणी अप्पिड्डियस्स वेमाणियस्स मझमझेणं वीतीवएज्जा ? हंता, वीतीवएज्जा। [१३ प्र.] भगवन् ! अल्प-ऋद्धिक देवी, महर्द्धिक देव के मध्य में से हो कर जा सकती है ? [१३ उ.] गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं। इस प्रकार यहाँ भी यह तीसरा दण्डक कहना चाहिए यावत्-[प्र.] भगवन् ! महर्द्धिक वैमानिक देवी, अल्प-ऋद्धिक वैमानिक देव के बीच में से होकर जा सकती है ? [उ.] हां, गौतम! जा सकती है। १४. अप्पिड्डीया णं भंते ! देवी महिड्डियाए देवीए मज्झंमज्झेणं वीतीवएज्जा? णो इणठे समठे। [१४ प्र.] भगवन् ! अल्प-ऋद्धिक देवी महर्द्धिक देवी के मध्य में से होकर जा सकती है ? [१४ उ.] गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं। १५. एवं समिड्डिया देवी समिड्डियाए देवीए तहेव । [१५] इसी प्रकार सम-ऋद्धिक देवी का सम-ऋद्धिक के साथ (सू. ७ के अनुसार) पूर्ववत् आलापक कहना चाहिए। १६. महिड्डिया देवी अप्पिड्डियाए देवीए तहेव । [१६] महर्द्धिक देवी का अल्प-ऋद्धिक देवी के साथ (सू. ८ के अनुसार) आलापक कहना चाहिए। १७. एवं एक्केक्के तिण्णि तिण्णि आलावग भाणियव्वा जाव महिड्डीया णं भंते! वेमाणिणी अप्पिड्डीयाए वेमाणिणीए मझमझेणं वीतीवएज्जा ? हंता, वीतीवएज्जा। सा भंते ! किं विमोहित्ता पभू ? तहेव जाव पुल्विं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा। एए चत्तारि दंडगा। [१७] इसी प्रकार एक-एक के तीन-तीन आलापक कहने चाहिए, यावत्-[प्र] भगवन् ! वैमानिक महर्द्धिक देवी, अल्प-ऋद्धिक वैमानिक देवी के मध्य में से होकर जा सकती है ? [उ.] हाँ गौतम! जा सकती है, यावत्-(प्र.) क्या वह महर्द्धिक देवी, उसे विमोहित करके जा सकती है या विमोहित किए बिना भी जा
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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