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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र रयण., एगे सक्कर., एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५ = १५। अहवा एगे रयण., एगे वालुय०, दो पंकप्पभाए होज्जा १ - १६। एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुय०, दो अहेसत्तमाए होज्जा २-३-४ -१९। एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियजोगो तहा भाणियवो जाव अहवा दो धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १०५।
अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए होज्जा १। अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे धूमप्पभाए होज्जा २। अहवा एगे रयण., एगे सक्कर, एगे वालुय., एगे तमाए होज्जा ३। अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४।अहवा एगे रयण. एगे सक्कर, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए १-५।अहवा एगे रयण., एगे सक्कर०, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा २-६।अहवा एगे रयण., एगे सक्कर०, एगे पंक०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३-७।अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा १-८॥ अहवा एगे रयण., एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-९।अहवा एगे रयण., एगे सक्करप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १-१०, अहवा एगे रयण., एगे वालुय., एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए होज्जा १-११। अहवा एगे रयण., एगे वालुय., एगे पंक०, एगे तमाए होज्जा २-१२। अहवा एगे रयण, एग०, वालुय., एगे पंक०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३-१३। अहवा एगे रयण., एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा१-१४। अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-१५। अहवा एगे रयण., एगे वालुय., एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १-१६। अहवा एगे रयण., एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तमाए होज्जा १-१७। अहवा एगे रयण., एगे पंक०, एगे धूम., एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-१८, अहवा एगे रयण., एगे पंक०, एगेतमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १-१९। अहवा एगे रयण., एगे धूम., एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १-२०।अहवा एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए होज्जा १-२१। एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाओ चारियव्वाओ जाव अहवा एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १-३०। अहवा एगे वालुय० एगे पंक०, एगे धूम०, तमाए होज्जा १-३१। अहवा एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-३२। अहवा एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३-३३। अहवा एगे वालुय., एगे धूम०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४-३४। अहवा एगे पंक०, एगे धूम., एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १-३५। . [१९ प्र.] भगवन् ! नैरयिकप्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए चार नैरयिक जीव क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न।
[१९ उ.] गांगेय! वे चार नैरयिक जीव रत्नप्रभा में होते हैं । अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं। (इस प्रकार असंयोगी सात विकल्प और सात ही भंग होते हैं।)