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________________ ४२८ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र तदनन्तर देवनन्दा के भी गुणों का संक्षिप्त वर्णन है। तत्पश्चात् ऋषभदत्त ने ब्राह्मणकुण्ड में भगवान् महावीर के पदार्पण की बात सुनकर उनका वन्दन- नमन, पर्युपासना एवं प्रवचनश्रवण करने का विचार किया। सेवकों से रथ तैयार करवा कर पति-पत्नी दोनों पृथक्-पृथक् रथ में बैठ कर भगवान् की सेवा में पहुंचे। भगवान् को देख कर देवानन्दा ब्राह्मणी के स्तनों से दूध की धारा बहने लगी आदि घटना से गौतम स्वामी के मन में उठे प्रश्न का समाधान भगवान ने कर दिया कि “देवानन्दा मेरी माता है" तत्पश्चात् ऋषभदत्त ब्राह्मण और देवानन्दा ब्राह्मणी के भगवान् से प्रव्रज्या लेने, शास्त्राध्ययन एवं तपश्चर्या करने तथा अन्त में दोनों के मोक्ष प्राप्त करने का वर्णन किया गया है। तत्पश्चात् उत्तरार्द्ध में जमालि के चरित का वर्णन है। क्षत्रियकुण्ड निवासी क्षत्रियकुमार जमालि की शरीरसम्पदा, वैभव, सुखभोग के साधनों से परितृप्ति आदि के वर्णन के पश्चात् एक दिन भगवान् महावीर का पदार्पण सुन कर उनके दर्शन-वन्दनादि के लिए प्रस्थान का, प्रवचनश्रवण के . अनन्तर संसार से विरक्ति का, फिर माता-पिता से दीक्षा की आज्ञा प्रदान करने के अनुरोध का एवं माता-पिता के साथ विरक्त जमाली के लम्बे आलाप - संलाप का, फिर अनुमति प्राप्त होने प्रव्रज्याग्रहण का विस्तृत वर्णन है । तत्पश्चात् भगवान् की बिना आज्ञा के जमालि के पृथक् विहार, शरीर में महारोग उत्पन्न होने का शय्यासंस्तारक बिछाने के निमित्त से स्फुरित सिद्धान्तविरुद्ध प्ररूपणा का, सर्वज्ञता का मिथ्या दावा, गौतम के दो प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ जमालि की विराधना का एवं किल्विषिक देवों में उत्पत्ति का सविस्तार वर्णन है। दोनों के निवास के पीछे 'कुण्डग्राम' नाम होने से इस उद्देशक का नाम कुण्डग्राम दिया गया है। चौंतीसवें उद्देशक में पुरुष के द्वारा अश्वादि घात सम्बन्धी, तथा घातक को वैरस्पर्श सम्बन्धी प्ररूपणा की गई है। इसके पश्चात् एकेन्द्रिय जीवों के परस्पर श्वासोच्छ्वास सम्बन्धी क्रिया सम्बन्धी तथा वायुकाय को वृक्षमूलादि कंपाने- गिराने की क्रिया सम्बन्धी प्ररूपणा की गई है। कुल मिलाकर प्रस्तुत शतक में भगवान् के अनेकान्तात्मक अनेक सिद्धान्तों का सुन्दर ढंग से निरूपण किया गया है।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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