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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र बंधए, अबंधए?
गोयमा! नो बंधए, अबंधए ।
[१२३-१ प्र.] भगवन् ! जिस जीव के वैक्रियशरीर का सर्वबंध है, क्या वह औदारिकशरीर का बंधक है या अबंधक है ?
[१२३-१ उ.] गौतम! वह बंधक नहीं, अबंधक है। [२]आहारगसरीरस्स एवं चेव। [१२३-२] इसी प्रकार आहारकशरीर के विषय में कहना चाहिए।
[३] तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं जाव देसबंधए, नो सव्वबंधए।
[१२३-३] तैजस और कार्मणशरीर के विषय में जैसे औदारिकशरीर के साथ कथन किया है, वैसा ही यहाँ भी वह देशबंधक है, सर्वबंधक नहीं तक कहना चाहिए।
१२४. [१] जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए?
गोयमा! नो बंधए, अबंधए।
[१२४-१ प्र.] भगवन् ! जिस जीव के वैक्रियशरीर का देशबंध है, क्या वह औदारिकशरीर का बंधक है, अथवा अबंधक है ?
[१२४-१ उ.] गौतम! वह बंधक नहीं, अबंधक है। [२] एवं जहा सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ।
[१२४-२] जैसा वैक्रियशरीर के सर्वबंध के विषय में कहा, वैसा ही यहाँ भी देशबंध के विषय में कार्मणशरीर तक कहना चाहिए।
१२५. [१] जस्स णं भंते! आहारगसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए?
गोयमा! नो बंधए, अबंधए।
[१२५-१ प्र.] भगवन्! जिस जीव के आहारकशरीर का सर्वबंध है, तो भंते! क्या वह जीव औदारिकशरीर का बंधक है या अबंधक है ? _ [१२५-१ उ.] गौतम! वह बंधक नहीं है, अबंधक है।
[२] एवं वेउव्वियस्स वि।