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अष्टम शतक : उद्देशक-९
३८३ रहता है। इसी प्रकार देशबंध का अन्तर भी जान लेना चाहिए।
७२. वाउक्काइयवेउव्वियसरीर. पुच्छा।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभाग। एवं देसबंधंतरं पि।
[७२ प्र.] भगवन् ! वायुकायिक-वैक्रियशरीरप्रयोगबंध का अन्तर कितने काल का होता है ?
[७२ उ.] गौतम! इसके सर्वबंध का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवां भाग होता है। इसी प्रकार देशबंध का अन्तर भी जान लेना चाहिए।
७३. तिरिक्खजोणियपंचिंदियवेउव्वियसरीरप्पयोगबंधंतरं० पुच्छा।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडीपुहत्तं। एवं देसबंधंतरं पि। ___ [७३ प्र.] भगवन् ! तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-वैक्रियशरीरप्रयोगबंध का अन्तर कितने काल का होता है ?
[७३ उ.] गौतम! इसके सर्वबंध का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि पृथक्त्व का होता है। इसी प्रकार देशबंध का अन्तर भी जान लेना चाहिए।
७४. एवं मणूसस्स वि। [७४] इसी प्रकार मनुष्य के विषय में भी (पूर्ववत्) जान लेना चाहिए।
७५. जीवस्सणं भंते ! वाउकाइयत्ते नोवाउकाइयत्ते पुणरविवाउकाइयत्ते वाउकाइयएगिंदियवेउव्विय. पुच्छा।
गोयमा! सव्वबंधतरंजहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं, वणस्सइकालो।एवं देसबंधंतरं
पि।
[७५ प्र.] भगवन् ! वायुकायिक-अवस्थागत जीव (वहाँ से मर कर) वायुकायिक के सिवाय अन्य काय में उत्पन्न हो कर रहे और फिर वह वहाँ से मर कर पुनः वायुकायिक जीवों में उत्पन्न हो तो उसके वायुकायिक-एकेन्द्रिय-वैक्रियशरीरप्रयोगबंध का अन्तर कितने काल का होता है ?
[७५ उ.] गौतम! उसके सर्वबंध का अन्तर जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टतः अनन्तकाल— वनस्पतिकाल तक होता है। इसी प्रकार देशबंध का अन्तर भी जान लेना चाहिए।
७६.[१] जीवस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयत्ते णोरयणप्पभापुढवि. पुच्छा।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहन्नेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। देसबंधंतरं जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं, वणस्सइकालो।