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________________ पंचम उद्देशक-अग्रमहिषी वर्णन (सूत्र १-३५) ६३९-६३९ उपोद्घात : स्थविरों द्वारा पृच्छा ६२३, अपनी सुधर्मा सभा में चमरेन्द्र की मैथुननिमित्तक भोग की असमर्थता ६२४, चमरेन्द्र के सोमादि लोकपालों का देवी-परिवार ६२६, बलीन्द्र एवं उसके लोकपालों का देवीपरिवार ६२७, धरणेन्द्र और उसके लोकपालों का देवी-परिवार ६२८, भूतानन्दादि भवनवासी इन्द्रों तथा उनके लोकपालों का देवी-परिवार ६२९, इन आठों के प्रत्येक समूह के दो-दो इन्द्रों का नाम ६३४, चन्द्र-सूर्य-ग्रहों के देवी-परिवार आदि का निरूपण ६३४, शक्रेन्द्र और उसके लोकपालों का देवी-परिवार ६३५, ईशानेन्द्र तथा उसके लोकपालों का देवी-परिवार ६३६।। छठा उद्देशक-सभा (सूत्र १-२) ६३५ सूर्याभ के अतिदेशपूर्वक शक्रेन्द्र तथा उसकी सुधर्मा सभा आदि का वर्णन ६३९ । सात से चौतीस उद्देशक-उत्तरवर्ती अन्तर्वीप (सूत्र १) ६४०-६४० उत्तरदिशावर्ती अट्ठाईस अन्तर्वीप (जीवाभिगमसूत्र के अनुसार) ६४० । *** [२६]
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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