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________________ अष्टम शतक : उद्देशक-२ २४२ है, अथवा कल्पातीत-वैमानिकदेव-कर्म-अशीविष है ? ___ [१६ उ.] गौतम ! कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष होता है, किन्तु कल्पातीत-वैमानिकदेवकर्म-आशीविष नहीं होता। १७. जति कप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे किं सोधम्मकप्पोव० जाव कम्मासीविसे जाव अच्चुयकप्पोवग जाव कम्मासीविसे ? गोयमा ! सोधम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे वि जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे वि, नो आणयकप्पोवग जाव नो अच्चुतकप्पोवगवेमाणियदेव०। _[१७ प्र.] भगवन् ! यदि कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष होता है तो क्या सौधर्मकल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष होता है, यावत् अच्युत-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष होता है ? [१७ उ.] गौतम ! सौधर्म-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव से सहस्रार-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-पर्यन्त कर्म-आशीविष होते हैं, परन्तु आनत, प्राणत आरण और अच्युत-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष नहीं होते। १८. जदि सोहम्मकप्पोवग जाव कम्मासीविसे किं पज्जत्तसोधम्मकप्पोवगवेमाणिय० अपज्जत्तगसोहम्मग?. ___ गोयमा ! नो पजत्तसोहम्मकप्पोवगवेमाणिय०, अपजत्तसोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवकम्मासीविसे। [१८ प्र.] भगवन् ! यदि सौधर्म-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष है तो क्या पर्याप्त सौधर्मकल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष है अथवा अपर्याप्त सौधर्म-कल्पोपपन्नक-वैमानिक-देव-कर्मआशीविष है ? [१८ उ.] गौतम ! पर्याप्त सौधर्म-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष नहीं, किन्तु अपर्याप्त सौधर्म-कल्पोपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष है। १९. एवं जाव नो पजत्तसहस्सारकप्पोवगवेमाणिय जाव कम्मासीविसे, अपजत्तसहस्सारकप्पोवग जाव कम्मासीविसे। [१९] इसी प्रकार यावत् पर्याप्त सहस्रार-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष नहीं, किन्तु अपर्याप्त सहस्रार-कल्पोपपन्नक-वैमानिकदेव-कर्म-आशीविष है। विवेचन आशीविष, दो मुख्य प्रकार और उनके अधिकारी प्रस्तुत १९ सूत्रों (सू. १ से १९ तक) में आशीविष, उसके मुख्य दो प्रकार, जाति-आशीविष और कर्म-आशीविष के अधिकारी जीवों का निरूपण किया गया है। आशीविष और उसके प्रकारों का स्वरूप—आशी का अर्थ है—दाढ़ (दंष्ट्रा) जिन जीवों की दाढ़
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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