SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र भी इन में अनन्त जीवत्व है, इस दृष्टि से विविध यानी विचित्र कर्मों के कारण इनकी पृथक्-पृथक् सत्ता-चेतना है; जिनके विविध विचित्र विधा=प्रकार या भेद हैं, वे भी विविध सत्त्व हैं।' चौवीस दण्डकों में लेश्या की अपेक्षा अल्पकर्मत्व और महाकर्मत्व की प्ररूपणा ६.[१] सिय भंते ! कण्हलेसे नेरतिए अप्पकम्मतराए, नीललेसे नेरतिए महाकम्मतराए ? हंता, गोयमा ! सिया। [६-१ प्र.] भगवन् ! क्या कृष्णलेश्या वाला नैरयिक कदाचित् अल्पकर्मवाला और नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित् महाकर्मवाला होता है ? [६-१ उ.] हाँ, गौतम ! कदाचित् ऐसा होता है। [२] से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चति 'कण्हलेसे नेरतिए अप्पकम्मतराए, नीललेसे नेरतिए महाकम्मतराए' ? गोयमा ! ठितिं पडुच्च, से तेणढेणं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए। [६-२ प्र.] भगवन् ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि कृष्णलेश्या वाला नैरयिक कदाचित् अल्पकर्मवाला होता है और नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित् महाकर्मवाला होता है ? । [६-२ उ.] गौतम ! स्थिति की अपेक्षा से ऐसा कहा जाता है कि यावत् (नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित्) महाकर्म वाला होता है। ७.[१] सिय भंते ! नीललेसे नेरतिए अप्पकम्मतराए, काउलेसे नेरतिए महाकम्मतराए ? हंता, सिया। [७-१ प्र.] भगवन् ! क्या नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित् अल्पकर्म वाला होता है और कापोतलेश्या वाला नैरयिक कदाचित् महाकर्मवाला होता है ? [७-१ उ.] हाँ, गौतम ! कदाचित् ऐसा होता है। [२] से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चति 'नीललेसे अप्पकम्मतराए, काउलेसे नेरतिए महाकम्मतराए?' गोयमा ! ठितिं पडुच्च, से तेणठेणं गोयमा जाव महाकम्मतराए। [७-२ प्र.] भगवन् ! आप किस कारण से ऐसा कहते हैं कि नीललेश्या वाला नैरयिक कदाचित् अल्पकर्मवाला होता है और कापोतलेश्या वाला नैरयिक कदाचित् महाकर्मवाला होता है ? । [७-२ उ.] गौतम ! स्थिति की अपेक्षा ऐसा कहता हूँ कि यावत् (कापोतलेश्या वाला नैरयिक १. भगवतीसूत्र अ. वृत्ति, पत्रांक ३००
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy