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________________ १२६ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [२ प्र.] भगवन् ! प्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? [ २ उ.] गौतम ! प्रत्याख्यान दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है— (१) मूलगुणप्रत्याख्यान और (२) उत्तरगुणप्रत्याख्यान । ३. मुलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे य देसमूलगुणपच्चक्खाणे य। [३ प्र.] भगवन् ! मूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? [३ उ.] गौतम ! (मूलगुणप्रत्याख्यान ) दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार – (१) सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान और (२) देशमूलगुणप्रत्याख्यान। ४. सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - सव्वातो पाणतिवातातो वेरमणं जाव सव्वातो परिग्गहातो वेरमणं । [४ प्र.] भगवन् ! सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? [४ उ.] गौतम! (सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान) पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है– (१) सर्व-प्राणातिपात से विरमण, (२) सर्व मृषावाद से विरमण, (३) सर्व अदत्तादान से विरमण, (४) सर्वमैथुन से विरमण और (५) सर्व परिग्रह से विमरण । ५. देसमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा – थूलातो पाणातिवातातो वेरमणं जाव थूलातो परिग्गहातो वेरमणं । [५ प्र.] भगवन् ! देशमूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? [५ उ.] गौतम ! (देशमूलगुणप्रत्याख्यान) पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार-स्थूलप्राणातिपात से विमरण यावत् स्थूल - परिग्रह से विरमण । ६. उत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं० – सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणे य, देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे य। [६ प्र.] भगवन् ! उत्तरगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? [६ उ.] गौतम ! ( उत्तरगुणप्रत्याख्यान) दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार - (१) सर्वउत्तरगुणप्रत्याख्यान और (२) देश-उत्तरगुणप्रत्याख्यान । ७. सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते, तं जहा अणागतं १ अतिक्कतं २ कोडीसहितं ३ नियंटियं ४ चेव ।
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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