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________________ ९७ छठा शतक : उद्देशक-९ ३. अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयुक्त आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानतादेखता है ? ४. अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयुक्त आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानतादेखता है ? ५. अविशुद्ध लेश्यावाला देव उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? ६. अविशुद्ध लेश्यावाला देव अनुपयुक्तानुपयुक्त आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? ७. विशुद्ध लेश्यावाला देव अनुपयुक्त आत्मा द्वारा, अविशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? ८. विशुद्ध लेश्यावाला देव अनुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता देखता है ? [आठों प्रश्नों का उत्तर ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। (अर्थात्-नहीं जानता-देखता।) [९. प्र.] भगवन् ! विशुद्ध लेश्यावाला देव क्या उपयुक्त आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? [९ उ.] हाँ, गौतम ! ऐसा देव जानता-देखता है। [१० प्र.] इसी प्रकार क्या विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयुक्त आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? [१० उ.] हाँ, गौतम ! वह जानता-देखता है। [११ प्र.] विशुद्ध लेश्यावाला देव उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? ___ [१२ प्र.] विशुद्ध लेश्यावाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा से, विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? [११-१२ उ.] हाँ, गौतम ! वह जानता-देखता है। यों पहले (निचले) जो आठ भंग कहे गए उन आठ भंगों वाले देव नहीं जानते-देखते। किन्तु पीछे (ऊपर के) कहे गये चार भंगों वाले देव जानते-देखते हैं। 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कह कर श्री गौतम स्वामी .......
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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