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________________ पंचम शतक : उद्देशक-७] [४८३ [१०-१ प्र.] भगवन्! क्या द्विप्रदेशिक स्कन्ध सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? [१०-१ उ.] गौतम! द्विप्रदेशी स्कन्ध सार्ध, अमध्य और सप्रदेश है, किन्तु अनर्ध, समध्य और अप्रदेश नहीं है ? [२] तिपदेसिए णं भंते! खंधे० पुच्छा। गोयमा! अणद्धे समझे सपदेसे, नो सअद्धे णो अमज्झे णो अपदेसे। [१०-२ प्र.] भगवन्! क्या त्रिप्रदेशी स्कन्ध सार्ध, अमध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? [१०-२ उ.] गौतम! त्रिप्रदेशी स्कन्ध अनर्थ है, समध्य है और सप्रदेश है; किन्तु सार्ध नहीं है, अमध्य नहीं है, और अप्रदेश नहीं है। [३] जहा दुपदेसिओ तहा जे समा ते भाणियव्वा। जे विसमा ते जहा तिपएसिओ तहा भाणियव्वा। - [१०-३] जिस प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध के विषय में सार्ध आदि विभाग बतलाए गए हैं, उसी प्रकार समसंख्या (बेकी की संख्या) वाले स्कन्धों के विषय में कहना चाहिए। तथा विषमसंख्या (एकी-एक की संख्या) वाले स्कन्धों के विषयों में त्रिप्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहे गए अनुसार कहना चाहिए। [४] संखेन्जपदेसिए णं भंते! खंधे किं सअड्ढे ६ पुच्छा ? गोयमा! सिय सअद्धे अमज्झे सपदेसे, सिय अणड्ढे समझे सपदेसे। [१०-४ प्र.] भगवन् ! क्या संख्यात-प्रदेशी स्कन्ध सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? .[१०-४ प्र.] गौतम! वह कदाचित् सार्ध होता है, अमध्य होता है, और सप्रदेश है, और कदाचित् अनर्ध होता है, समध्य होता है और सप्रदेश होता है। [५] जहा संखेन्जपदेसिओ तहा असंखेज्जपदेसिओ वि अणंतपदेसिओ वि। [१०-५] जिस प्रकार संख्यातप्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध और अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी जान लेना चाहिए। विवेचन–परमाणुपुद्गल से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक के सार्थ, समध्य आदि एवं तद्विपरीत होने के विषय में प्रश्नोत्तर-प्रस्तुत सूत्रद्वय में परमाणुपुद्गल आदि के सार्ध आदि होने, न होने के विषय में प्रश्नोत्तर अंकित हैं। ___फलित निष्कर्ष–परमाणुपुद्गल अनर्ध, अमध्य और अप्रदेश होते हैं। परन्तु जो द्विप्रदेशी जैसे समसंख्या (दो, चार, छह, आठ आदि संख्या) वाले स्कन्ध होते हैं, वे सार्ध, अमध्य और सप्रदेश होते
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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