________________
२०६] .
[व्याख्यान योजन, तमःप्रभा की १,१६,००० योजन, तमस्तमःप्रभा की १,०८,००० योजन है। (३) संस्थान आवलिका प्रविष्ट नारकवासों का संस्थान गोल, त्रिकोण और चतुष्कोण होता है। शेष का नाना प्रकार का।(४) बाहल्य(मोटाई) प्रत्येक नरकावास की ३ हजार योजन है।(५)विष्कम्भ परिक्षेप (लम्बाई-चौड़ाई और परिधि) कुछ नरकावास संख्येय (योजन) विस्तृत हैं, कुछ असंख्येय योजन विस्तृत हैं। (६)वर्ण-नारकों का वर्ण भयंकर काला, उत्कटरोमांचयुक्त (७)गन्ध-सर्पादि के मृत कलेवर से भी कई गुनी बुरी गन्ध। (८) स्पर्श क्षुरधारा, खङ्गधारा आदि से भी कई गुना तीक्ष्ण।
॥ द्वितीय शतक : तृतीय उद्देशक समाप्त॥