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________________ बिइयं सयं द्वितीय शतक परिचय भगवतीसूत्र का यह द्वितीय शतक है। इसके भी दश उद्देशक हैं। उनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं—(१) श्वासोच्छ्वास (और स्कन्दक अनगार),(२) समुद्घात, (३) पृथ्वी (४) इन्द्रियाँ, (५) निर्ग्रन्थ (अथवा अन्यतीर्थिक), (६) भाषा, (७) देव, (८) (चमरेन्द्र-) सभा (या चमरचंचा राजधानी), (९) द्वीप (अथवा समयक्षेत्र) और (१०) अस्तिकाय। प्रथम उद्देशक में एकेन्द्रियों आदि के श्वासोच्छ्वास से सम्बन्धित निरूपण, मृतादी अगनार के सम्बन्ध में भवभ्रमण-सिद्धिगमन सम्बन्धी प्ररूपण एवं स्कन्दक अनगार का विस्तृत वर्णन है। द्वितीय उद्देशक में सप्त समुद्घात के सम्बन्ध में निरूपण है। तृतीय उद्देशक में सात नरकपृथ्वियों के नाम, संस्थान आदि समस्त जीवों की उत्पत्ति-संभावनासम्बन्धी वर्णन है। चतुर्थ उद्देशक में इन्द्रियों के नाम, विषय, विकार, संस्थान, बाहल्य, विस्तार, परिमाण, विषयग्रहण क्षमता आदि का वर्णन है। पंचम उद्देशक में देवलोक में उत्पन्न भूतपूर्व निर्ग्रन्थ किन्तु वर्तमान में देव की परिचारणा सम्बन्धी प्रश्नोत्तर, जीवों की गर्भस्थिति सम्बन्धी विचार, तुंगिका नगरी के श्रावकों द्वारा तप आदि के फलसम्बन्धी शंका-समाधान, श्रमण-माहन की पर्युपासना का फल, राजगृहस्थित उष्णजल कुण्ड आदि का निरूपण है। छठे उद्देशक में भाषा के भेद, कारण, उत्पत्ति, संस्थान, भाषापुद्गलों की गतिसीमा, भाषा रूप में गृहीत पुद्गल, उन पुद्गलों के वर्णादि, षड्दिशागत भाषा-ग्रहण, भाषा का अन्तर (व्यवधान), भाषा के माध्यम-काय-वचनयोग तथा अल्पबहुत्व आदि भाषा सम्बन्धी वर्णन है। सातवें उद्देशक में देवों के प्रकार, स्थान, उपपात, प्रतिष्ठान, बाहल्य, उच्चत्व, संस्थान इत्यादि देवसम्बन्धी वर्णन है। आठवें उद्देशक में चमरेन्द्र (असुरेन्द्र) की सभा, राजधानी आदि का वर्णन है। नौवें उद्देशक में अढाई द्वीप, दो समुद्र के रूप में प्रसिद्ध समयक्षेत्र सम्बन्धी प्ररूपण है। ★ दशवें उद्देशक में पंचास्तिकाय, उनके नाम, उनमें वर्ण, गन्धादि, उनकी शाश्वतता-अशाश्वतता, द्रव्य, क्षेत्र, काल भाव गुणरूप प्रकारों आदि का सांगोपांग निरूपण है। १. (क) भगवतीसूत्र मूलपाठ संग्रहणीगाथा १०९, भा. १, पृ.७३ (ख) भगवतीसूत्र अ. वृत्ति, पत्रांक १०९
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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