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________________ स्थानाङ्गसूत्रम् (पढमसमयतिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमणुया, अपढमसमयमणुया, पढमसमयदेवा), अपढमसमयदेवा, सिद्धा । ६५० सब जीव नौ प्रकार के कहे गये हैं, जैसे १. एकेन्द्रिय, २ . द्वीन्द्रिय, ३. त्रीन्द्रिय, ४. चतुरिन्द्रिय, ५. नारक, ६. पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक, ७. मनुष्य, ८. देव, ९. सिद्ध । अथवा सर्वजीव नौ प्रकार के कहे गये हैं, जैसे १. प्रथम समयवर्ती नारक, ३. प्रथम समयवर्ती तिर्यंच, ५. प्रथम समयवर्ती मनुष्य, ७. प्रथम समयवर्ती देव, ९. सिद्ध (१०) । २. अप्रथम समयवर्ती नारक, ४. अप्रथम समयवर्ती तिर्यंच, ६. अप्रथम समयवर्ती मनुष्य, ८. अप्रथम समयवर्ती देव, अवगाहना - सूत्र ११ – णवविहा सव्वजीवोगाहणा पण्णत्ता, तं जहा पुढविकाइओगाहणा, आउकाइयोगाहणा, (तेउकाइओगाहणा, वाउकाइओगाहणा, ) वणस्सइकाइ ओगाहणा, बेइंदियओगाहणा, तेइंदियओगाहणा, चउरिदियओगाहणा, पंचिंदियओगाहणा । सब जीवों की अवगाहना नौ प्रकार की कही गई है, जैसे १. पृथ्वीकायिक जीवों की अवगाहना, ३. तेजस्कायिक जीवों की अवगाहना, ५. वनस्पतिकायिक जीवों की अवगाहना, ७. त्रीन्द्रिय जीवों की अवगाहना, ९. पंचेन्द्रिय जीवों की अवगाहना (११) । २. अप्कायिक जीवों की अवगाहना, ४. वायुकायिक जीवों की अवगाहना, ६. द्वीन्द्रिय जीवों की अवगाहना, ८. चतुरिन्द्रिय जीवों की अवगाहना, संसार-सूत्र १२ – जीवा णं णवहिं ठाणेहिं संसारं वत्तिंसु वा वत्तंति वा वत्तिस्संति वा, तं जहा— पुढविकाइयत्ताए, (आउकाइयत्ताए, तेउकाइयत्ताए, वाउकाइयत्ताए, वणस्सइकाइयत्ताए, बेइंदियत्ताए, तेइंदियत्ताए, चउरिदियत्ताए), पंचिंदियत्ताए । जीवों ने नौ स्थानों से (नौ पर्यायों से) संसार - परिभ्रमण किया है, कर रहे हैं और आगे करेंगे, जैसे१. पृथ्वीकायिक रूप से, २. अप्कायिक रूप से, ३. तेजस्कायिक रूप से, ४. वायुकायिक रूप से, ५. वनस्पतिकायिक रूप से, ६. द्वीन्द्रिय रूप से, ७. त्रीन्द्रिय रूप से, ८. चतुरिन्द्रिय रूप से, ९. पंचेन्द्रिय रूप से (१२) ।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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