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स्थानाङ्गसूत्रम्
१. कनक कूट, २. कांचन कूट, ३. पद्म कूट, ४. नलिन कूट, ५. शशी कूट, ६. दिवाकर कूट, ७. वैश्रमण कूट, ८. वैडूर्य कूट (९६)। वहां महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थितिवाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएं रहती हैं, जैसे१. समाहारा, २. सुप्रतिज्ञा, ३. सुप्रबुद्धा, ४. यशोधरा, ५. लक्ष्मीवती, ६. शेषवती, ७. चित्रगुप्ता, ८. वसुन्धरा ।
९७ - जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं रुयगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता, तं जहा
सोत्थिते य अमोहे य, हिमवं मंदरे तहा ।
रुअगे रुयगुत्तमे चंदे, अट्टमे य सुदंसणे ॥१॥ तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवति, तं जहा
इलादेवी सुरादेवी, पुढवी पउमावती ।
एगणासा णवमिया, सीता भद्दा य अट्ठमा ॥२॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट कहे गये हैं, जैसे१. स्वस्तिक कूट, २. अमोह कूट, ३. हिमवान कूट, ४. मन्दर कूट, ५. रुचक कूट, ६. रुचकोत्तम कूट, ७. चन्द्र कूट, ८. सुदर्शन कूट (९७)। वहां ऋद्धिशाली यावत् एक पल्योपम की स्थितिवाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएं रहती हैं, जैसे१. इलादेवी, २. सुरादेवी, ३. पृथ्वी, ४. पद्मावती, ५. एकनासा, ६. नवमिका, ७. सीता, ८. भद्रा।
९८- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं रुअगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता, तं जहा
रयण-रयणुच्चए या, सव्वरयण रयणसंचए चेव ।।
विजये य वेजयंते, जयंते अपराजिते ॥ १॥ तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति, तं जहा
अलंबुसा मिस्सकेसी, पोंडरिगी य वारुणी ।
आसा सव्वगा चेव, सिरी हिरी चेव उत्तरतो ॥२॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट कहे गये हैं, जैसे१. रत्नकूट, २. रत्नोच्चय कूट, ३. सर्वरत्न कूट, ४. रत्नसंचय कूट, ५. विजय कूट, ६. वैजयन्त कूट, ७. जयन्त कूट, ८. अपराजित कूट (९८)। वहां महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थिति वाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएं रहती हैं, जैसे१. अलंबुषा, २. मिश्रकेशी, ३. पौण्डरिकी, ४. वारुणी, ५. आशा, ६. सर्वगा, ७. श्री, ८. ही।