________________
अष्टम स्थान
तं जहा
तं जहा
जहा
९५
जहा
।
सिद्धे य रुप्पि रम्मग, णरकंता बुद्धि रुप्पकूडे य हिरण्णवते मणिकंचणे, य रुप्पिम्मि कूडा उ
॥ १ ॥
बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में रुक्मी वर्षधर पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं, जैसे— १. सिद्ध कूट, २. रुक्मी कूट, ३. रम्यक कूट, ४. नरकान्त कूट, ५. बुद्धि कूट, ६. रुप्य कूट, ७. हैरण्यवत कूट, ८. मणिकांचन कूट (९४)।
जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं रुयगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता,
रिट्ठे तवणिज्ज कंचण, रयत दिसासोत्थिते पलंबे य । अंजणे अंजणपुलए, रुयगस्स पुरत्थिमे कूडा ॥ १॥
तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति, तं जहा
६३५
दुत्तरा य णंदा, आणंदा दिवद्धणा ।
विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया ॥ २ ॥
जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मन्दर पर्वत के पूर्व में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट कहे गये हैं, जैसे१. रिष्ट कूट, २. तपनीय कूट, ३. कांचन कूट, ४ रजत कूट, ५. दिशास्वस्तिक कूट, ६. प्रलम्ब कूट, ७. अंजन कूट, ८. अंजनपुलक कूट।
वहाँ महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थितिवाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएँ रहती हैं, जैसे१. नन्दोत्तरा, २ . नन्दा, ३. आनन्दा, ४. नन्दिवर्धना, ५. विजया, ६. वैजयन्ती, ७. जयन्ती,
८. अपराजिता (९५) ।
९६ - जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं रुयगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पण्णत्ता,
तं
कणए कंचणे पउमे, णलिणे ससि दिवायरे चेव ।
वेसमणे वेरुलिए, रुयगस्स उ दाहिणे कूडा ॥ १॥
तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवसंति, तं
समाहारा सुप्पतिण्णा, सुप्पबुद्धा जसोहरा ।
लच्छिवती सेसवती, चित्तगुत्ता वसुंधरा ॥ २॥
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट कहे गये हैं, जैसे—