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स्थानाङ्गसूत्रम्
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में सीता महानदी के दोनों कूलों पर आठ वक्षस्कारपर्वत हैं, जैसे
१. चित्रकूट, २. पक्ष्मकूट, ३. नलिनकूट, ४. एकशैल, ५. त्रिकूट, ६. वैश्रमणकूट, ७. अंजनकूट, ८. मातांजनकूट (६७)।
६८– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं सीतोयाए महाणदीए उभतो कूले अट्ठ वक्खारपव्वता पण्णत्ता, तं जहा अंकावती, पम्हावती, आसीविसे, सुहावहे, चंदपव्वते, सूरपव्वते, णागपव्वते, देवपव्वते।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दोनों कूलों पर आठ वक्षस्कारपर्वत हैं, जैसे
१. अंकावती, २. पक्ष्मावती, ३. आशीविष, ४. सुखावह, ५. चन्द्रपर्वत, ६. सूरपर्वत, ७. नागपर्वत, ८. देवपर्वत (६८)।
६९- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महाणदीए उत्तरे णं अट्ठ चक्कवट्टिविजया पण्णत्ता, तं जहा—कच्छे, सुकच्छे, महाकच्छे, कच्छगावती, आवत्ते, (मंगलावत्ते, पुक्खले), पुक्खलावती। ____ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में चक्रवर्ती के आठ विजयक्षेत्र कहे गये हैं, जैसे
१. कच्छ, २. सुकच्छ, ३. महाकच्छ, ४: कच्छकावती, ५. आवर्त, ६. मंगलावर्त, ७. पुष्कल, ८. पुष्कलावती (६९)।
७०– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महाणदीए दाहिणे णं अट्ठ चक्कवट्टिविजया पण्णत्ता, तं जहा—वच्छे, सुवच्छे, (महावच्छे, वच्छगावती, रम्मे, रम्मगे, रमणिज्जे), मंगलावती।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में चक्रवर्ती के आठ विजयक्षेत्र कहे गये हैं, जैसे
१. वत्स, २. सुवत्स, ३. महावत्स, ४. वत्सकावती, ५. रम्य, ६. रम्यक, ७. रमणीय, ८. मंगलावती (७०)।
७१– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोयाए महाणदीए दाहिणे णं अट्ठ चक्कवट्टिविजया पण्णत्ता, तं जहा–पम्हे, (सुपम्हे, महापम्हे, पम्हगावती, संखे, णलिणे, कुमुए), सलिलावती।
प नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में चक्रवर्ती के आठ विजयक्षेत्र कहे गये हैं, जैसे
१. पक्ष्म, २. सुपक्ष्म, ३. महापक्ष्म, ४. पक्ष्मकावती, ५. शंख, ६. नलिन, ७. कुमुद, ८. सलिलावती (७१)।