SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 694
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्टम स्थान ६२७ संग्रहणी-गाथा सारस्सतमाइच्चा, वण्ही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिता अव्वाबाहा, अग्गिच्चा चेव बोद्धव्वा ॥१॥ इन आठों लोकान्तिक विमानों में आठ प्रकार के लोकान्तिक देव कहे गये हैं, जैसे१. सारस्वत, २. आदित्य, ३. वह्नि, ४. वरुण, ५. गर्दतोय, ६. तुषित, ७. अव्याबाध, ८. अग्न्यर्च (४६)। ४७- एतेसि णं अट्ठण्हं लोगंतियदेवाणं अजहण्णमणुक्कोसेणं अट्ठ सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। इन आठों लोकान्तिक देवों की जघन्य और उत्कृष्ट भेद से रहित—एक-सी स्थिति आठ-आठ सागरोपम की कही गई है (४७)। मध्यप्रदेश-सूत्र ४८- अट्ठ धम्मत्थिकाय-मज्झपएसा पण्णत्ता। धर्मास्तिकाय के आठ मध्य प्रदेश (रुचक प्रदेश) कहे गये हैं (४८)। ४९- अट्ठ अधम्मत्थिकाय-(मज्झपएसा पण्णत्ता)। अधर्मास्तिकाय के आठ मध्य प्रदेश कहे गये हैं (४९)। ५०- अट्ठ आगासत्थिकाय-(मज्झपएसा पण्णत्ता)। आकाशास्तिकाय के आठ मध्य प्रदेश कहे गये हैं (५०)। ५१- अट्ठ जीव-मज्झपएसा पण्णत्ता। जीव के आठ मध्य प्रदेश कहे गये हैं (५१)। महापद्म-सूत्र .. ५२- अरहा णं महापउमे अट्ठ रायाणो मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारितं पव्वावेस्सति, तं जहा—पउमं, पउमगुम्मं, णलिणं, णलिणगुम्मं, पउमद्धयं, धणुद्धयं, कणगरहं, भरहं। (भावी प्रथम तीर्थंकर) अर्हत् महापद्म आठ राजाओं को मुण्डित कर अगार से अनगारिता में प्रव्रजित करेंगे, जैसे १. पद्म, २. पद्मगुल्म, ३. नलिन, ४. नलिनगुल्म, ५. पद्मध्वज, ६. धनुर्ध्वज, ७. कनकरथ, ८. भरत (५२)। कृष्ण-अग्रमहिषी-सूत्र ५३– कण्हस्स णं वासुदेवस्स अट्ठ अग्गमहिसीओ अरहतो णं अरिट्ठणेमिस्स अंतिए मुंडा भवेत्ता अगाराओ अणगारितं पव्वइया सिद्धाओ (बुद्धाओ मुत्ताओ अंतगडाओ परिणिव्वुडाओ) सव्वदुक्खप्पहीणाओ, तं जहा
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy