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________________ अष्टम स्थान ६२१ ६. स्वामित्त्व-प्रतिपादन करने के अर्थ में षष्ठी विभक्ति होती है। ७. सन्निधान का आधार बताने के अर्थ में सप्तमी विभक्ति होती है। ८. किसी को सम्बोधन करने या पुकारने के अर्थ में अष्टमी विभक्ति होती है। १. प्रथमा विभक्ति का चिह्न- वह, यह, मैं, आप, तुम आदि। २. द्वितीया विभक्ति का चिह्न – को, इसको कहो, उसे करो आदि। ३. तृतीया विभक्ति का चिह्न-से, द्वारा, जैसे—गाड़ी से या गाड़ी के द्वारा आया, मेरे द्वारा किया गया आदि। . ४. चतुर्थी विभक्ति का चिह्न लिए, जैसे—गुरु के लिए नमस्कार आदि। ५. पंचमी विभक्ति का चिह्न- जैसे घर ले जाओ, यहां से ले जा आदि। ६. षष्ठी विभक्ति का चिह्न— यह उसकी पुस्तक है, वह इसकी है आदि। ७. सप्तमी विभक्ति का चिह्न - जैसे उस चौकी पर पुस्तक, इस पर दीपक आदि। ८. अष्टमी विभक्ति का चिह्न हे युवक, हे भगवान् आदि (२४)। छद्मस्थ-केवलि-सूत्र २५- अट्ठ ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण याणति ण पासति, तं जहा—धम्मत्थिकायं, (अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सई), गंधं, वातं। एताणि चेव उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली (सव्वभावेणं, जाणइ पासइ, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सई), गंधं, वातं। आठ पदार्थों को छद्मस्थ पुरुष सम्पूर्ण रूप से न जानता है और न देखता है, जैसे . १. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. शरीर-मुक्त जीव, ५. परमाणु पुद्गल, ६. शब्द, ७. गन्ध, ८. वायु। प्रत्यक्ष ज्ञान-दर्शन के धारक अर्हन् जिन केवली इन आठ पदार्थों को सम्पूर्ण रूप से.जानते-देखते हैं, जैसे१. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. शरीर-मुक्त जीव, ५. परमाणु पुद्गल, ६. शब्द, ७. गन्ध, ८. वायु (२५)। आयुर्वेद-सूत्र २६- अविधे आउव्वेदे पण्णत्ते, तं जहा—कुमारभिच्चे, कायतिगिच्छा, सालाई, सल्लहत्ता, जंगोली, भूतविजा, खारतंते, रसायणे। आयुर्वेद आठ प्रकार का कहा गया है, जैसे१. कुमारभृत्य— बाल-रोगों का चिकित्साशास्त्र। २. कायचिकित्सा- शारीरिक रोगों का चिकित्साशास्त्र। ३. शालाक्य- शलाका (सलाई) के द्वारा नाक-कान आदि के रोगों का चिकित्साशास्त्र। ४. शल्यहत्था- शस्त्र द्वारा चीर-फाड़ करने का शास्त्र।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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