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________________ ५९४ स्थानाङ्गसूत्रम् कच्छा तव्विगुणा तच्चा कच्छा। एवं जाव जावतिया छट्ठा कच्छा तव्विगुणा सत्तमा कच्छा। असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर की पदातिसेना के अधिपति द्रुम की पहली कक्षा में ६४ हजार देव हैं। दूसरी कक्षा में उससे दुगुने १२८००० देव है। तीसरी कक्षा में उससे दुगुने २५६००० देव हैं। इसी प्रकार सातवीं कक्षा तक दुगुने-दुगुने देव जानना चाहिए (१२४)। १२५– एवं बलिस्सवि, णवरं—महृदुमे सट्ठिदेवसाहस्सिओ। सेसं तं चेव। इसी प्रकार वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बलि की पदातिसेना के अधिपति महाद्रुम की पहली कक्षा में ६० हजार देव हैं। आगे की कक्षाओं में क्रमशः दुगुने-दुगुने देव जानना चाहिए (१२५)। १२६- धरणस्स एवं चेव, णवरं—अट्ठावीसं देवसहस्सा। सेसं तं चेव। इसी प्रकार नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की पदातिसेना के अधिपति भद्रसेन की पहली कक्षा में २८ हजार देव हैं। आगे की कक्षाओं में क्रमशः दुगुने-दुगुने देव जानना चाहिए (१२६)। १२७– जधा धरणस्स एवं जाव महाघोसस्स, णवरं—पायत्ताणियाधिपती अण्णे, ते पुव्वभणिता। धरण के समान ही भूतानन्द से महाघोष तक के सभी इन्द्रों के पदाति सेनापतियों की कक्षाओं की देवसंख्या जाननी चाहिए। विशेष—उनके पदातिसेनापति दक्षिण और उत्तर दिशा के भेद से भिन्न-भिन्न हैं, जो कि पहले कहे जा चुके हैं (१२७)। १२८—सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो हरिणेगमेसिस्स सत्त कच्छाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—पढमा कच्छा एवं जहा चमरस्स तहा जाव अच्चुतस्स। णाणत्तं पायत्ताणियाधिपतीणं। ते पुव्वभणिता। देवपरिमाणं इमं सक्कस्स चउरासीतिं देवसहस्सा, ईसाणस्स असीतिं देवसहस्साइं जाव अच्चुतस्स लहुपरक्कमस्स दस देवसहस्सा जाव जावतिया छट्ठा कच्छा तव्विगुणा सत्तमा कच्छा। देवा इमाए गाथाए अणुगंतव्वा चउरासीति असीति, बावत्तरी सत्तरी य सट्ठी य । पण्णा चत्तालीसा, तीसा वीसा य दससहस्सा ॥ १॥ देवेन्द्र, देवराज शक्र के पदातिसेना के अधिपति हरिनैगमेषी की सात कक्षाएँ कही गई हैं, जैसे—पहली कक्षा यावत् सातवीं कक्षा। जैसे चमर की कही, उसी प्रकार यावत् अच्युत कल्प तक के सभी देवेन्द्रों के पदातिसेना के अधिपतियों की सात-सात कक्षाएं जाननी चाहिए। उनके पदातिसेना के अधिपतियों के नामों की जो विभिन्नता है, वह पहले कही जा चुकी है। उनकी कक्षाओं के देवों का परिमाण इस प्रकार है शक्र के पदातिसेना के अधिपति की पहली कक्षा में ८४ हजार देव हैं। ईशान के पदातिसेना के अधिपति की पहली कक्षा में ८० हजार देव हैं। सनत्कुमार के पदातिसेना के अधिपति की पहली कक्षा में ७२ हजार देव हैं।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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