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________________ पंचम स्थान तृतीय उद्देश से समासओ पंचविधे पण्णत्ते, तं जहा— दव्वओ, खेत्तओ, कालओ, भावओ, गुणओ । दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अनंताइं दव्वाइं । खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते । ४९३ कालओ ण कयाइ णासि, ण कयाइ ण भवति, ण कयाइ ण भविस्सइत्ति—भुविं च भवति य भविस्सति य, धुवे णिइए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिते णिच्चे । भावओ वण्णमंते गंधमंते रसमंते फासमंते । पुद्गलास्तिकाय पंच वर्ण, पंच रस, दो गन्ध, अष्ट स्पर्श वाला, रूपी, अजीव, शाश्वत, अवस्थित और लोक का एक अंशभूत द्रव्य है । वह संक्षेप से पांच प्रकार का कहा गया है, जैसे १. द्रव्य की अपेक्षा, २. क्षेत्र की अपेक्षा, ३. काल की अपेक्षा, ४. भाव की अपेक्षा, ५ गुण की अपेक्षा । १. द्रव्य की अपेक्षा — पुद्गलास्तिकाय अनन्त द्रव्य हैं। २. क्षेत्र की अपेक्षा— पुद्गलास्तिकाय लोकप्रमाण है, अर्थात् लोक में ही रहता है— बाहर नहीं । ३. काल की अपेक्षा — पुद्गलास्तिकाय कभी नहीं था, ऐसा नहीं है; कभी नहीं है, ऐसा भी नहीं है; कभी नहीं होगा, ऐसा भी नहीं है । वह भूतकाल में था, वर्तमानकाल में है और भविष्यकाल में रहेगा । अतः वह ध्रुव, निचित, शाश्वत, अक्षत, अव्यय, अवस्थित और नित्य है । ४. भाव की अपेक्षा पुद्गलास्तिकाय वर्णवान्, गन्धमान्, रसवान् और स्पर्शवान् है। ५. गुण की अपेक्षा — पुद्गलास्तिकाय ग्रहण गुणवाला है। अर्थात् औदारिक आदि शरीर रूप से ग्रहण किया जाता है और इन्द्रियों के द्वारा भी वह ग्राह्य है । अथवा पूरण- गलन गुणवाला — मिलने - बिछुड़ने का स्वभाव वाला है (१७४) । गति - सूत्र - १७५ – पंच गतीओ पण्णत्ताओ, तं जहा णिरयगती, तिरियगती, मणुयगती, देवगती, सिद्धिगती । गतियां पांच कही गई हैं, जैसे १. नरकगति, २. तिर्यंचगति, ३. मनुष्यगति, ४. देवगति, ५. सिद्धगति (१७५)। इन्द्रियार्थ सूत्र १७६ - पंच इंदियत्था पण्णत्ता, तं जहा— सोतिंदियत्थे, चक्खिंदियत्थे, घाणिंदियत्थे, जिब्भिंदियत्थे, फासिंदियत्थे । इन्द्रियों के पांच अर्थ (विषय) कहे गये हैं, जैसे १. श्रोत्रेन्द्रिय का अर्थ शब्द, २. चक्षुरिन्द्रिय का अर्थ रूप, ३. घ्राणेन्द्रिय का अर्थ गन्ध, ४. रसनेन्द्रिय का अर्थ
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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