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पंचम स्थान प्रथम उद्देश
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[ सीयले णं अरहा पंचपुव्वासाढे हुत्था, तं जहा — पुव्वासाढाहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते ।
शीतलनाथ तीर्थंकर के पांच कल्याणक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुए, जैसे
१. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८६) ।
८७ विमले णं अरहा पंचउत्तराभद्दवए हुत्था, तं जहा —— उत्तराभद्दवयाहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कते । ८८ - अणंते णं अरहा पंचरेवतिए हुत्था, तं जहा— रेवतिहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ८९ – धम्मे णं अरहा पंचपूसे हुत्था, तं जहा— पूसेणं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९० - संती णं अरहा पंचभरणीए हुत्था, तं जहा— भरणीहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९१ – • कुंथू णं णरहा पंचकत्तिए हुत्था, तं जहा—कत्तियाहिं चुते चइता गब्धं वक्कंते । ९२ – अरे णं अरहा पंचरेवतिए हुत्था, 'जहा रेवतिहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९३ • मुणिसुव्वए णं अरहा पंचसवणे हुत्था, तं जहा—सवणेणं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते । ९४— णमी णं अरहा पंचआसिणीए हुत्था, तं जहा — सिणीहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९५ णेमी णं अरहा पंचचित्ते हुत्था, तं जहा — चित्ताहिं चुते चत्ता गब्धं वक्कते । ९६ –— पासे णं अरहा पंचविसाहे हुत्था, तं जहा — विसाहाहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते ।]
विमल तीर्थंकर के पांच कल्याणक उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुए, जैसे—
१. उत्तराभाद्र नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८७)।
अनन्त तीर्थंकर के पांच कल्याणक रेवती नक्षत्र में हुए, जैसे—
१. रेवती नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८८) ।
धर्म तीर्थंकर के पांच कल्याणक पुष्य नक्षत्र में हुए, जैसे—
१. पुष्य नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८९) ।
शान्ति तीर्थंकर के पांच कल्याणक भरणी नक्षत्र में हुए, जैसे
१. भरणी नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९०) । कुन्थु तीर्थंकर के पांच कल्याणक कृत्तिका नक्षत्र में हुए, जैसे
१. कृत्तिका नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९१)। अर तीर्थंकर के पांच कल्याणक रेवती नक्षत्र में हुए, जैसे
१. रेवती नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९२) ।
मुनिसुव्रत तीर्थंकर के पांच कल्याणक श्रवण नक्षत्र में हुए, जैसे
१. श्रवण नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९३) ।
नमि तीर्थंकर के पांच कल्याणक अश्विनी नक्षत्र में हुए, जैसे—
१. अश्विनी नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९४)। नेमि तीर्थंकर के पांच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में हुए, जैसे