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________________ पंचम स्थान प्रथम उद्देश ४६३ [ सीयले णं अरहा पंचपुव्वासाढे हुत्था, तं जहा — पुव्वासाढाहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते । शीतलनाथ तीर्थंकर के पांच कल्याणक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुए, जैसे १. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८६) । ८७ विमले णं अरहा पंचउत्तराभद्दवए हुत्था, तं जहा —— उत्तराभद्दवयाहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कते । ८८ - अणंते णं अरहा पंचरेवतिए हुत्था, तं जहा— रेवतिहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ८९ – धम्मे णं अरहा पंचपूसे हुत्था, तं जहा— पूसेणं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९० - संती णं अरहा पंचभरणीए हुत्था, तं जहा— भरणीहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९१ – • कुंथू णं णरहा पंचकत्तिए हुत्था, तं जहा—कत्तियाहिं चुते चइता गब्धं वक्कंते । ९२ – अरे णं अरहा पंचरेवतिए हुत्था, 'जहा रेवतिहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९३ • मुणिसुव्वए णं अरहा पंचसवणे हुत्था, तं जहा—सवणेणं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते । ९४— णमी णं अरहा पंचआसिणीए हुत्था, तं जहा — सिणीहिं चुते चइत्ता गब्धं वक्कंते । ९५ णेमी णं अरहा पंचचित्ते हुत्था, तं जहा — चित्ताहिं चुते चत्ता गब्धं वक्कते । ९६ –— पासे णं अरहा पंचविसाहे हुत्था, तं जहा — विसाहाहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते ।] विमल तीर्थंकर के पांच कल्याणक उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुए, जैसे— १. उत्तराभाद्र नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८७)। अनन्त तीर्थंकर के पांच कल्याणक रेवती नक्षत्र में हुए, जैसे— १. रेवती नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८८) । धर्म तीर्थंकर के पांच कल्याणक पुष्य नक्षत्र में हुए, जैसे— १. पुष्य नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (८९) । शान्ति तीर्थंकर के पांच कल्याणक भरणी नक्षत्र में हुए, जैसे १. भरणी नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९०) । कुन्थु तीर्थंकर के पांच कल्याणक कृत्तिका नक्षत्र में हुए, जैसे १. कृत्तिका नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९१)। अर तीर्थंकर के पांच कल्याणक रेवती नक्षत्र में हुए, जैसे १. रेवती नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९२) । मुनिसुव्रत तीर्थंकर के पांच कल्याणक श्रवण नक्षत्र में हुए, जैसे १. श्रवण नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९३) । नमि तीर्थंकर के पांच कल्याणक अश्विनी नक्षत्र में हुए, जैसे— १. अश्विनी नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये । इत्यादि (९४)। नेमि तीर्थंकर के पांच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में हुए, जैसे
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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