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________________ चतुर्थ स्थान - चतुर्थ उद्देश मानुषसंवास कहते हैं। ५६० - चउव्विहे संवासे पण्णत्ते, तं जहा— देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, देवे णामगे असुरी सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे णाममेगे असुरी सद्धिं संवासं गच्छति । पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. कोई देव देवियों के साथ संवास करता है । २. कोई देव असुरियों के साथ संवास करता है। ३. कोई असुर देवियों के साथ संवास करता है। ४. कोई असुर असुरियों के साथ संवास करता है (५६०) । ५६१ - चउव्विधे संवासे पण्णत्ते, तं जहा — देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, देवे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति । पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है, जैसे• १. कोई देव देवियों के साथ संवास करता है । २. कोई देव राक्षसियों के साथ संवास करता है 1 ३. कोई राक्षस देवियों के साथ संवास करता है । ४. कोई राक्षस राक्षसियों के साथ संवास करता है (५६१) । ३९९ ५६२ – चउव्विधे संवासे पण्णत्ते, तं जहा— देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, देवे मेगे मस्सीए सद्धिं संवासं गच्छति, मणुस्से णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, मणुस्से णामगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छति । पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है, जैसे १. कोई देव देवियों के साथ संवास करता है । २. कोई देव मानुषी के साथ संवास करता है । ३. कोई मनुष्य देवी के साथ संवास करता है। ४. कोई मनुष्य मानुषी स्त्री के साथ संवास करता है (५६२) । ५६३ – चउव्विधे संवासे पण्णत्ते, तं जहा - असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति । पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. कोई असुर असुरियों के साथ संवास करता है।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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