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चतुर्थ स्थान– तृतीय उद्देश
३१७ ४. अयुक्त और अयुक्त-परिणत— कोई पुरुष न सत्कार्य से युक्त होता है और न युक्त-परिणत ही होता है (३७२)।
३७३- चत्तारि जाणा पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे। .
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे।
पुनः यान चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्तरूप— कोई यान बैल आदि से युक्त और युक्तरूप वाला होता है।। २. युक्त और अयुक्तरूप— कोई यान बैल आदि से युक्त, किन्तु अयुक्तरूप वाला होता है। ३. अयुक्त और युक्तरूप— कोई यान बैल आदि से अयुक्त, किन्तु युक्तरूप वाला होता है। ४. अयुक्त और अयुक्तरूप— कोई यान न बैल आदि से युक्त होता है और न युक्तरूप वाला ही होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्तरूप- कोई पुरुष गुणों से भी युक्त होता है और रूप से (वेष आदि) भी युक्त होता है। . २. युक्त और अयुक्तरूप— कोई पुरुष गुणों से युक्त होता है, किन्तु रूप से युक्त नहीं होता है। ३. अयुक्त और युक्तरूप— कोई पुरुष गुणों से अयुक्त होता है, किन्तु रूप से युक्त होता है। ४. अयुक्त और अयुक्तरूप- कोई पुरुष न गुणों से ही युक्त होता है और न रूप से ही युक्त होता है (३७३)।
३७४– चत्तारि जाणा पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अजत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे।
पुनः यान चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. युक्त और युक्तशोभ— कोई यान बैल आदि से भी युक्त होता है और वस्त्राभरणादि की शोभा से भी युक्त होता है।
२. युक्त और अयुक्तशोभ— कोई यान बैल आदि से तो युक्त होता है, किन्तु शोभा से युक्त नहीं होता है। ३. अयुक्त और युक्तशोभ- कोई यान बैल आदि से युक्त नहीं होता, किन्तु शोभा से युक्त होता है। ४. अयुक्त और अयुक्तशोभ— कोई यान न बैलादि से युक्त होता है और न शोभा से ही युक्त होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्तशोभ- कोई पुरुष गुणों से युक्त होता है और उचित शोभा से भी युक्त होता है। २. युक्त और अयुक्तशोभ— कोई पुरुष गुणों से युक्त होता है, किन्तु शोभा से युक्त नहीं होता। ३. अयुक्त और युक्तशोभ— कोई पुरुष गुणों से तो युक्त नहीं होता है, किन्तु शोभा से युक्त होता है। ४. अयुक्त और अयुक्तशोभ- कोई पुरुष न गुणों से युक्त होता है और न शोभा से ही युक्त होता है (३७४) ।