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________________ चतुर्थ स्थान द्वितीय उद्देश २४२ — इत्थिकहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा इत्थीणं जाइकहा, इत्थीणं कुलकहा, रूवकहा, इत्थीणं णेवत्थकहा । स्त्रीकथा चार प्रकार की कही गई हैं, जैसे १. स्त्रियों की जाति की कथा, २. स्त्रियों के कुल की कथा, ३. स्त्रियों के रूप की कथा, ४. स्त्रियों के नेपथ्य ( वेष-भूषा) की कथा (२४२ ) । भक्तकथा चार प्रकार की कही गई है, जैसे १. आवापकथा— रसोई की सामग्री आटा, दाल, नमक आदि की चर्चा करना । २. निर्वापकथा— पके या बिना पके अन्न या व्यंजनादि की चर्चा करना । ३. आरम्भकथा— रसोई बनाने के लिए आवश्यक सामान और धन आदि की चर्चा करना । ४. निष्ठानकथा— रसोई में लगे सामान और धनादि की चर्चा करना (२४३)। २४३— भत्तकहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा—भत्तस्स आवावकहा, भत्तस्स णिव्वावकहा, भत्तस्स आरंभकहा, भत्तस्स णिट्ठाणकहा । देशकथा चार प्रकार की कही गई है, जैसे— १. देशविधिकथा — विभिन्न देशों में प्रचलित विधि-विधानों की चर्चा करना । २. देशविकल्पकथा — विभिन्न देशों के गढ़, परिधि, प्राकार आदि की चर्चा करना । ३. देशच्छन्दकथा — विभिन्न देशों के विवाहादि सम्बन्धी रीति-रिवाजों की चर्चा करना । ४. देशनेपथ्यकथा — विभिन्न देशों के वेष-भूषादि की चर्चा करना (२४४)। २६७ इत्थी २४४ - देसकहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा— देशविहिकहा, देसविकप्पकहा, देसच्छंदकहा, देसणेवत्थकहा । राजकथा चार प्रकार की कही गई है, जैसे १. राज - अतियान कथा— राजा के नगर-प्रवेश के समारम्भ की चर्चा करना । २४५— रायकहा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा —— रण्णो अतियाणकहा, रण्णो णिज्जाणकहा, रण्णो बलवाहणकहा, रण्णो कोसकोट्ठागारकहा । २. राज-निर्याण कथा— राजा के युद्ध आदि के लिए नगर से निकलने की चर्चा करना ३. राज-बल-वाहनकथा— राजा के सैन्य, सैनिकों और वाहनों की चर्चा करना । ४. राज-कोष-कोष्ठागार कथा— राजा के खजाने और धान्य- भण्डार आदि की चर्चा करना (२४५) । विवेचन — कथा का अर्थ है— कहना, वार्तालाप करना । जो कथा संयम से विरुद्ध हो, विपरीत हों वह विकथा कहलाती है, अर्थात् जिसमें ब्रह्मचर्य में स्खलना उत्पन्न हो, स्वादलोलुपता जागृत हो, जिससे आरम्भसमारम्भ को प्रोत्साहन मिले, जो एकनिष्ठ साधना में बाधक हो, ऐसा समग्र वार्तालाप विकथा में परिगणित है। उक्त भेद-प्रभेदों में सब प्रकार की विकथाओं का समावेश हो जाता है।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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