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________________ १४४ स्थानाङ्गसूत्रम् स्थावर नामकर्म का उदय है अतः वे वास्तव में स्थावर ही हैं। अच्छेद्य-आदि-सूत्र ३२८- तओ अच्छेज्जा पण्णत्ता, तं जहा समए, पदेसे, परमाणू। ३२९– एवमभेजा अडज्झा अगिज्झा अणड्डा अमज्झा अपएसा [तओ अभेजा पण्णत्ता, तं जहा समए, पदेसे, परमाणू। ३३०- तओ अणज्झा पण्णत्ता, तं जहा—समए, पदेसे, परमाणू। ३३१- तओ अगिज्झा पण्णत्ता, तं जहा समए, पदेसे, परमाणू। ३३२- तओं अणड्डा पण्णत्ता, तं जहा समए, पदेंसे, परमाणू। ३३३- तओ अमज्झा पण्णत्ता, तं जहा—समए, पदेसे, परमाणू। ३३४- तओ अपएसा पण्णत्ता, तं जहा समए, पदेसे, परमाणू]। ३३५- तओ अविभाइमा पण्णत्ता, तं जहा— समए, पदेसे, परमाणू। तीन अच्छेद्य (छेदन करने के अयोग्य) कहे गये हैं समय (काल का सबसे छोटा भाग) प्रदेश (आकाश आदि द्रव्यों का सबसे छोटा भाग) और परमाणु (पुद्गल का सबसे छोटा भाग) (३२८)। इसी प्रकार अभेद्य, अदाह्य, अग्राह्य, अनर्ध, अमध्य और अप्रदेशी। यथा-तीन अभेद्य (भेदन करने के अयोग्य) कहे गये हैं समय, प्रदेश और परमाणु (३२९)। तीन अदाह्य (दाह करने के अयोग्य) कहे गये हैं समय, प्रदेश और परमाणु (३३०)। तीन अग्राह्य (ग्रहण करने के अयोग्य) कहे गये हैं—समय, प्रदेश और परमाणु (३३१)। तीन अनर्ध (अर्ध भाग से रहित) कहे गये हैं—समय, प्रदेश और परमाणु (३३२)। तीन अमध्य (मध्य भाग से रहित) कहे गये हैं—समय, प्रदेश और परमाणु (३३३)। तीन अप्रदेशी (प्रदेशों से रहित) कहे गये हैं—समय, प्रदेश और परमाणु (३३४)। तीन अविभाज्य (विभाजन के अयोग्य) कहे गये हैं—समय, प्रदेश और परमाणु (३३५)। . दुःख-सूत्र ३३६– अजोति! समणे भगवं महावीरे गोतमादी समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी किं भया पाणा समणाउसो ? गोतमादी समणा णिग्गंथा समणं भगवं महावीरं उवसंकमंति, उवसंकमित्ता वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी—णो खलु वयं देवाणुप्पिया! एयमढे जाणामो वा पासामो वा। तं जदि णं देवाणुप्पिया! एयमढे णो गिलायंति परिकहित्तए, तमिच्छामो णं देवाणुप्पियाणं अंतिए एयमढें जाणित्तए। ___ अजोति! समणे भगवं महावीरे गोतमादी समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी-दुक्खभया पाणा समणाउसो! से णं भंते! दुक्खे केण कडे ? जीवेणं कडे पमादेणं। से णं भंते! दुक्खे कहं वेइज्जति ? अप्पमाएणं।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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