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________________ १३० स्थानाङ्गसूत्रम् होता है। कोई पुरुष 'नहीं छेदन करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं छेदन करूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२४)।] २२५ - [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—बूइत्ता णामेगे सुमणे भवति, बूइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, बूइत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२६– तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा बेमीतेगे सुमणे भवति, बेमीतेगे दुम्मणे भवति, बेमीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२७– तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— वौच्छामीतेगे सुमणे भवति, वोच्छामीतेगे दुम्मणे भवति, वोच्छामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।] [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'बोलकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'बोलकर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'बोलकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२५)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'मैं बोलता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं बोलता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'मैं बोलता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२६)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'बोलूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'बोलूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'बोलूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२७)।] २२८-[तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—अबूइत्ता णामेगे सुमणे भवति, अबूइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अबूइत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२९- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण बेमीतेगे सुमणे भवति, ण बेमीतेगे दुम्मणे भवति, ण बेमीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २३०– तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण वोच्छामीतेगे सुमणे भवति, ण वोच्छामीतेगे दुम्मणे भवति, ण वोच्छामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।] [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'नहीं बोलकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं बोलकर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं बोलकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२८)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'नहीं बोलता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं बोलता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं बोलता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२९)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं कोई पुरुष 'नहीं बोलूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं बोलूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं बोलूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२३०)।] २३१ - [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा भासित्ता णामेगे सुमणे भवति, भासित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, भासित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २३२- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—भासामीतेगे सुमणे भवति, भासामीतेगे दुम्मणे भवति, भासामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २३३- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— भासिस्सामीतेगे सुमणे भवति, भासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, भासिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।] [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'संभाषण कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष संभाषण कर'
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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